कुकडेश्वर। आज प्रत्येक जीव दुखों से जुडा हैं जिसने भौतिक सुख को सुख मान लिया वो भी दुखी हैं सुखी बनने के लिए कुछ छोड़ना पड़ेगा छोड़े बिना सुखी नही हो सकते उक्त बात आचार्य भगवंत श्री रामेश के शिष्य शासन दिपक प पू श्री छत्तांक मुनि जी मसा ने समता भलन ब्यावर में नियमित प्रवचन के दौरान धर्म सभा में देते हुए फ़रमाया कि संसारी जिवन में रहते हुए छोटे छोटे त्याग नियम व छोटी मोटी बाते छोड़ने से अपने आप मे जुड़ाव आ जाता हैं। आपने कहा अगर केवल ज्ञान पाना हैं तो साधु बनना पड़ेगा धर्म अणगार बनना होगा।साधु के मुकाबले कोई विनयवान नही होता।छोटी बातें कभी कभी दुखदायी बन जाती मुक्त बनने के लिये ऊंची चीजे प्राप्त करनी होगी। व मिथ्यात्व, राग, देष, क्रौध, मान, मोह, माया, लोभ यह सब भाव सहयोगी है इनको छोड़ते ही आनंद की अभीभूती होने लगती है सहयोग से मुक्त बने तभी जीवन धन्य हो जायेगा। उक्त अवसर पर श्री अमित मुनि जी म सा ने कहा हैं मानव तु संसार मे आकर क्या कर रहा है जन्म मरण के बीच के समय में जो मानव धर्म के रास्ते पर चलेगा वहीं सुख शांति प्राप्त करता रहेगा।जो व्यक्ति जाग्रत रहकर प्रमाद का त्याग कर लेता वो व्यक्ति आगें बड़ समय का सद्प्रयोग कर लेता है। भजन के माध्यम से कहा जग जा रें चेतन जगनें में सार हैं।जो सोता हैं उसका जीवन बेकार होता है। आपने मोक्ष पर कहा मरे बिना मोक्ष नही मिलता मोक्ष सभी चाहतें पर मरना कोई नही चाहता। मोक्ष वह उत्पति हैं जहां सुख ही सुख है, बहुत मुश्किल से इस भव में मोक्ष का टिकट मिला हैं फिर भी कोई जाना नही चाहता मोक्ष जाना हैं तो शरीर का त्याग करना पडेगा। शरीर जब तक नही छोडगे तब तक मोक्ष नही मिलेगा। धर्म के स्वरूप को समझें बिना मोक्ष संभव नहीं है।