कुकडेश्वर । भगवान कृष्ण लीला जन सामान्य को प्रेरणा देती भगवान ने मानव को स्वयंभु स्वयं को देखो अन्तर में रमण करो क्योंकि शरीर मन मंदिर और स्वास ही परमात्मा है। भगवान कृष्ण ने अपनी बाल लीला में सभी से मैत्री भाव का संदेश दिया और मानव,पशु, पक्षियों, हवा-पानी पेड़ पौधे जीव जन्तु की रक्षा कर स्वयं व पर की रक्षा का संदेश हर लीला में हमें मिलता है। उक्त बात श्री राम मंदिर पर चंद्र वंशी खाती पटेल समाज के मंदिर परिसर में भागवत कथा के पांचवें रोज श्री कृष्ण के बचपन से युवा काल में हुई लीलाओं का मार्मिक शब्दों में व्यास गादी से पं ओमप्रकाश जी वैष्णव निलीया वाले ने कथा के दौरान धर्म सभा में श्रोताओं के सम्मुख व्यक्त की।और कहा कि हरि कीर्तन से मन शांत होता है आपने कहा कि श्रृध्दा और भाव से जो दान होता है वहीं सम्पदा की और ले जाता है और हाथों से जो कार्य और जिव्हा से प्रभु का स्मरण किया वो ही कल्याण कारी हैं। पं ओमप्रकाश जी वैष्णव ने कहा कि कार्तिक मास में धन तेरस धन पुजा व अमावस्या लक्ष्मी पुजा धन सम्पदा के लिए है। इसी प्रकार एकम गोवर्धन पूजा के लिए है लेकिन इसके पिछे रहस्य है वो गोर्वधन पर्वत पर हरियाली,पर्यावरण, छाया आदि स्वास्थ्य के साथ समृध्दि लायक है। जब एकम को इन्द्र पुजा होती थी लेकिन हर जिव के कल्याणक हेतु इन्द्र पुजा की जगह पर्यावरण सुरक्षा व खुशहाली देने वाले पर्वत की पुजा प्रारंभ की उक्त प्रंसग पर इंद्र कोपित होकर अति वृष्टि सात दिवस तक करते इस प्रंसग पर अचानक तेज बारिश प्रारंभ हो जाती है।