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खबर- दशा सुधारने की कामना को लेकर सौलह श्रृंगार कर महिलाओं ने की दशा माता की पूजा अर्चना

कुकडेश्वर। नगर एवं आसपास के गांवों में प्रातः से महिलाओं ने बड़ी आस्था और श्रद्धा के साथ घर की दशा व दिशा सुधारने और अखण्ड सौभाग्य व्रती की कामना को लेकर नगर में पीपल वृक्ष की पुजा अर्चना कर किया दशा माता पुजन सनातन धर्म में अनेक देवी देवताओं की पूजा की जाती है भारतीय संस्कृति अनुरूप आस्था और श्रद्धा से हर धर्मावलंबी जन परंपरागत व लौकिक पर्व मनाते हैं। इसी कड़ी में दशा माता का पर्व  प्रतिवर्ष चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को मनाते है। इसके पिछे मान्यता है कि दशा माता की पूजा करने से घर की दशा व दिशा सुधरती है और घर में सुखी,समृद्धि बनी रहती हैं। इस बार 4 अप्रैल गुरुवार को बड़ी आस्था से मनाया गया। दशा माता को देवी पार्वती का ही रूप मानकर पुजन किया। महिलाओं ने बताया कि दशा माता की पूजा सच्चे मन से जो करता उसके घर की दशा यानी स्थिति सुधर जाती है और वह परेशानियों से भी बचा रहता है। इस दिन हम महिलाएं वृक्षों की त्रिवेणी (पीपल, बरगद और नीम) जिसमें नगर में पिपल की पूजा कर दशा माता का व्रत विधि विधान से कर कथा सुनती है ये सब इस विधि से करतीं हैं दशा माता की पूजा हाथ में जल और चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प कर। पीपल वृक्ष को भगवान विष्णु का रूप मानकर पूजा कर व पीपल वृक्ष की प्रदक्षिणा करते हुए भगवान विष्णु के मंत्र बोलती हैं। पीपल के नीचे शुद्ध घी का दीपक लगा कर अबीर, गुलाल, कुंकुम, चावल, फूल आदि पूजा चढ़ा कर पूजा करने के बाद पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर नल-दमयंती की कथा सुनती व घर के मुख्य दरवाजे के दोनों और हल्दी-कुमकुम के छापे लगा कर व्रत रखती हैं। महिलाओं ने बताया कि इस प्रकार जो दशा माता की पूजा करता है, उसके घर में हमेशा सुखी समृद्धि बनी रहती है व परेशानियां दूर रहती हैं। इस दिन पूजा के बाद दशा माता की कथा भी सुन कर सुत के धागे की दशा माता की वेर धारण कर सभी बड़ों को चरण स्पर्श कर आशिर्वाद लेती है।दशा माता का पर्व नगर एवं आसपास महिलाओं ने बड़ी आस्था और श्रद्धा से मनाया।

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