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खबर-हरतालिका तीज पर महिलाओं ने फुलेरा बना कर शिव पार्वती का किया पुजन

रामपुरा- भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तीज सोमवार को निराहार रह कर शिवलिंग व पार्वती बना कर फुलेरा बनाकर महिलाओ का झुंड नगर के कई मंदिरों पर सुर्याअस्त पश्चात पंहुच कर सामूहिक पुजन किया। व नेवेध श्रृंगार का समान फल फुल पुजन साम्रगी चढ़ा कर सोगभाग्य व पति की दीर्घायु की कामना की व कुंवारी कन्याओं ने अच्छे वर की प्राप्ति हेतु हरतालिका तीज का व्रत रखा। मान्यतानुसार कथा श्रवण की इसके पीछे यह है कहानी भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र था। उस दिन मां पार्वती ने रेत के शिवलिंग का निर्माण करके व्रत किया। इस कष्ट साध्य तपस्या के प्रभाव से शंकर भगवान का आसन डोलने लगा समाधि टूट गई। तब समक्ष जा पहुंचे और माता की तपस्या से प्रसन्न होकर वर मांगने के लिए कहा। तब अपनी तपस्या के फलस्वरूप मुझे अपने समक्ष पाकर तुमने कहा मैं हृदय से  आपको पति के रूप में वरण कर चुकी हूं। यदि आप सचमुच मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार करें भोलेश्वर ने तथास्तु कह कर कैलाश पर्वत पर लौटे। प्रातः होते ही मां ने पूजा की समस्त सामग्री को नदी में प्रवाहित करके अपनी सहेली सहित व्रत का पारणा किया। उसी समय अपने मित्र-बंधु व दरबारियों सहित गिरिराज तुम्हें खोजते-खोजते वहां आ पहुंचे और तुम्हारी इस कष्ट साध्य तपस्या का कारण तथा उद्देश्य पूछा। उस समय तुम्हारी दशा को देखकर गिरिराज अत्यधिक दुखी हुए और पीड़ा के कारण उनकी आंखों में आंसू उमड़ आए थे।तुमने उनके आंसू पोंछते हुए विनम्र स्वर में कहा- पिताजी! मैंने अपने जीवन का अधिकांश समय कठोर तपस्या में बिताया है। मेरी इस तपस्या का उद्देश्य केवल यही था कि मैं महादेव को पति के रूप में पाना चाहती थी। आज मैं अपनी तपस्या की कसौटी पर खरी उतर चुकी हूं। विष्णुजी से मेरा विवाह करने का निर्णय ले चुके थे, इसलिए मैं अपने आराध्य की खोज में घर छोड़कर चली आई। अब मैं आपके साथ इसी शर्त पर घर जाऊंगी कि आप मेरा विवाह विष्णुजी से न करके महादेवजी से करेंगे। गिरिराज मान गए व घर ले गए। कुछ समय के पश्चात शास्त्रोक्त विधि-विधानपूर्वक शिव पार्वती को विवाह सूत्र में बांध दिया। तब से भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया तब से इस व्रत को करने वाली कुंआरियों को मनोवांछित फल देता हूं। इसलिए सौभाग्य की इच्छा करने वाली प्रत्येक युवती को यह व्रत पूरी निष्ठा तथा आस्था से करना चाहिए। कथा नुकसान हर विवाहिता व कुंवारी कन्याओं द्वारा हरतालिका तीज पर निराहार रहकर शिव पार्वती की पूजा अर्चना कर व्रत का पारणा करती है।नगर में कई मंदिरों पर बड़ी संख्या में उक्त पर्व को बड़ी आस्था और श्रद्धा से मनाया गया। साथ ही पूजा की समस्त सामग्री को दुर्गासागर तालाब मे जाकर प्रवाहित किया गया।

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