logo

त्रि-दिवसीय राजयोग तपस्या कार्यक्रम में एक हजार से अधिक ब्रह्मावत्सों ने भाग लिया,रूद्र यज्ञ कुण्ड में सभी ने अपनी कमियों को स्वाहा किया

नीमच- पिछले दिनों अन्तर्राष्‍ट्रीय प्रेरक वक्‍ता विश्‍व विभूति बी.के.शिवानी दीदी ने नीमच आगमन पर टाउन हॉल में आयोजित नियमित राजयोगी ब्रह्मावत्सों की विशाल सभा को कुछ आध्यात्मिक टिप्‍स दिये थे तथा अपनी उपराम व साक्षी अवस्था बनाने के लिए अनेक आध्यात्मिक उपायों पर निजी मेहनत करने के सुझाव दिये थे। उन्हीं सुझावों पर अमल करने के लिए ब्रह्माकुमारीज़ पावन धाम, नीमच के विशाल सद्‌भावना सभागार में त्रिदिवसीय राजयोग तपस्या का आयोजन किया गया, जिसमें ब्रह्माकुमारी नीमच सबझोन के एक हजार से भी अधिक राजयोगी साधकों ने भाग लिया । तीनों तपस्या कार्यक्रमों में आगन्तुक राजयोगी ब्रह्मावत्सों से सर्वप्रथम अपने मोबाईल स्वीच ऑफ करके तपस्या स्थल से दूर रखवा दिये गए ताकि कोई भी नकारात्मक उर्जा तपस्या में बाधक न बन सके । इस गहन तपस्या कार्यक्रम में सारा दिन मौन व राजयोग साधना का अभ्यास करवाने के साथ ही संस्थान की सबझोन संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने शिवानी दीदी के दिये गए टिप्स की विस्तृत व्याख्या करके राजयोगी साधकों को आने वाली हर परिस्थिति का सामना करने के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण के सहज उपाय बताये, साथ ही शक्तिशाली सकारात्मक संकल्पों व विचारों की रनिंग कॉमेन्‍ट्री देकर राजयोग मेडिटेशन का गहन अभ्यास करवाया । ब्रह्माकुमारी संस्थान के यज्ञ सेवक ब्रह्माकुमार सुरेन्द्र भाई ने अपने राजयोगी जीवन के पिछले लगभग 50 वर्षों का निचोड़ राजयोगी साधकों के समक्ष रखते हुए बताया कि यह कलियुगी दुनिया अब संपूर्ण परिवर्तन के कगार पर है, चाहे साधकों को आने वाले तीन-चार वर्षों में ही भयानक प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़े.. विश्‍व युद्ध के भयानक प्रभावों से गुजरना पड़े या पारिवारिक, सामाजिक अथवा राष्‍ट्रीय गृह कलह से भी गुजरना पड़े तब भी एक राजयोगी साधक स्थित प्रज्ञ योगी की तरह रूद्र परमात्मा शिव का सानिध्य व निरंतर संग का अनुभव करके हर बाधा को पार कर सकता है । बी.के. सुरेन्द्र भाई ने तपस्या कार्यक्रम में उपस्थित सैंकड़ों ब्रह्मावत्सों से अपील की कि हमारा भारत देश विश्‍व गुरू तभी बन सकेगा जब हम धर्म, जाति, भाषा या रंग भेद आदि को भूलकर सबको परमात्मा शिव का कल्याणकारी संदेश देने की सेवा नि:स्वार्थ भाव से करते रहे। इस त्रिदिवसीय तपस्या कार्यक्रम के समापन पर प्रत्येक दिन ब्रह्मचर्य व्रतधारी राजयोगी साधकों द्वारा शिव स्मृति में बनाए गए पवित्र ब्रह्माभोजन का आयोजन सभी के लिए रखा गया । इस पूरे आयोजन में पूर्णतया: मौन एवं मुस्कुराहट हर चेहरे से प्रकट होता रहा ।

Top