कुकड़ेश्वर- रसना सुख के चलते प्राणी स्वयं अपनी दुर्गती कर बैठता है। जिस प्रकार मक्खी गुड़ पर बैठ कर अपने प्राणों की आहुति दे देती है इसलिए स्वादु नहीं बन कर साधु बनना है। उक्त बात समीपस्थ डूब क्षेत्र के गाँव कराडिया में विगत दिनों से सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के दौरान व्यास गादी से पंडित अर्जुन भारद्वाज (टकरावद वाले) ने अपने मुखारविंद से धर्म सभा को बताया कि मछुवारा मछली पकड़ने के लिए कांटे में मछली को लुभावने के लिए उसकी प्रिय वस्तु लगता है और पानी के अंदर फेंकता है,मछली कांटे में फंस जाती है उक्त मार्मिक उदाहरण के साथ बताया कि जीवन में रसना सुख में अंधा नही होकर स्वयं की दुर्गति नहीं करवायें। जीवन में श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण जरूर करना चाहिए कथा जीवन से तारती है। गौ सेवा हर दिन किसी न किस रूप में जरुर करें।कराडिया में विगत 23 फ़रवरी से संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन गांव वासियो के सहयोग से मन्दसौर क्षेत्र के प्रख्यात कथा वाचक, पंडित अर्जुन भारद्वाज (टकरावद वाले) के मुखारविंद से धारा प्रवाहित होती रही जिसके श्रवण हेतु प्रतिदिन गांववासी सहित क्षेत्र के सेंकडो भक्तजनों ने लाभ उठाया कराडिया में श्रीमद् भागवत कथा का विश्राम भव्य शोभायात्रा व प्रसाद वितरण के साथ हुआ।