गांधीसागर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय गाँधीसागर द्वारा पाँच जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर एक कार्यक्रम ब्रह्माकुमारी शमिता दीदी पूर्व संचालिका मंदसौर की स्मृति मे शीतला माता मंदिर गाँधीसागर नम्बर आठ पर आयोजित किया गया। जिसमे राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी श्यामा दीदी (मंदसौर ) ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी (भानपुरा ) ब्रह्माकुमारी गंगा दीदी ( गांधी सागर ) वन विभाग एसडीओं राजेश मण्डावालिया की उपस्थिती मे सम्पन्न हुआ । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्यामा दीदी ने कहा कि पर्यावरण दिवस पर हम चारों तरफ पर्यावरण दिवस मना रहे हैं आज यह दिवस मनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी है क्योंकि देखो प्रकृति भी बोलते हैं और प्रवृत्ति भी बोलते हैं दोनों का पर " प " से नाम आता है प्रवृत्ति मन ग्रस्त व्यवहार में रहते अपने परिवार की पालन पोषण करते और प्रकृति मैंने जो हमें जीवन प्रदान करती इसके बिना हम एक सेकंड भी जी नहीं सकते जीवन बन नहीं सकता क्योंकि हमारे शरीर का निर्माण होता है प्रकृति के पांच तत्वों से धरती आकाश जल वायु और अग्नि तत्व जब साथ है तो जीवन है । अगर यह साथ ना हो तो जीवन नहीं है ।जब हम किसी से पूछते हैं आपका रियल परिचय क्या है ,आप क्या करते , आप कौन हैं तो आप यही परिचय देते कि मैं फलाना हूं मेरा नाम है मेरा यह पद है मैं फलाने जगह का रहने वाला हूं या रहने वाली हूं । अपना परिचय दीजिए लेकिन जब यह परिचय देते हैं तो कभी आपने सोचा जब हम नाम बताते तो नाम हमारी जन्म से पहले नहीं बल्कि हमारा नामकरण माता-पिता रखते हैं तब नाम पड़ता है । नाम भी हमको जन्म के बाद मिला जब हम पढ़ लिख कर होशियार होते तब हमारा पद बनता है और जहां हम लंबे समय रहते हैं लेकिन उसके पूर्व भी हम संसार में आए लेकिन बिना परिचय तो तब कौन थे ।जिसे हम परिचय बताएं मां के गर्भ पांच तत्वों से बना है ।उसको समझो उसको जाने उसके बनो तो उसे भरोसा मिलेगा वरदान मिलेंगे जैसे मां-बाप से प्रॉपर्टी मिलती है उसी प्रकार की परमात्मा से भी प्रॉपर्टी मिलती है लेकिन यह भाग्य की जो प्रॉपर्टी है सुख शांति आनंद संपत्ति स्वस्थ जीवन वह सभी भगवान से मिले तो यह आत्मा है। किसी भी बिमारी की दवा मेडिकल पर मिल जाती है लेकिन दुख की बिमारी की दवा कही दुकान पर नही मिलती इसलिए परमात्मा से मिलन रखे वही दुख की दवा मिलेगी । एसडीओ मण्डावलिया ने कहा कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय गाँधीसागर द्वारा पाँच जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर एक कार्यक्रम ब्रह्माकुमारी शमिता दीदी पूर्व संचालिका मंदसौर की स्मृति मे शीतला माता मंदिर गाँधीसागर नम्बर आठ पर आयोजित किया गया । जिसमे राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी श्यामा दीदी (मंदसौर ) ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी (भानपुरा ) ब्रह्माकुमारी गंगा दीदी ( गांधी सागर ) वन विभाग एसडीओं राजेश मण्डावालिया की उपस्थिती मे सम्पन्न हुआ । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्यामा दीदी ने कहा कि पर्यावरण दिवस पर हम चारों तरफ पर्यावरण दिवस मना रहे हैं आज यह दिवस मनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी है क्योंकि देखो प्रकृति भी बोलते हैं और प्रवृत्ति भी बोलते हैं दोनों का पर " प " से नाम आता है प्रवृत्ति मन ग्रस्त व्यवहार में रहते अपने परिवार की पालन पोषण करते और प्रकृति मैंने जो हमें जीवन प्रदान करती इसके बिना हम एक सेकंड भी जी नहीं सकते जीवन बन नहीं सकता क्योंकि हमारे शरीर का निर्माण होता है प्रकृति के पांच तत्वों से धरती आकाश जल वायु और अग्नि तत्व जब साथ है तो जीवन है । अगर यह साथ ना हो तो जीवन नहीं है ।जब हम किसी से पूछते हैं आपका रियल परिचय क्या है ,आप क्या करते , आप कौन हैं तो आप यही परिचय देते कि मैं फलाना हूं मेरा नाम है मेरा यह पद है मैं फलाने जगह का रहने वाला हूं या रहने वाली हूं । अपना परिचय दीजिए लेकिन जब यह परिचय देते हैं तो कभी आपने सोचा जब हम नाम बताते तो नाम हमारी जन्म से पहले नहीं बल्कि हमारा नामकरण माता-पिता रखते हैं तब नाम पड़ता है । नाम भी हमको जन्म के बाद मिला जब हम पढ़ लिख कर होशियार होते तब हमारा पद बनता है और जहां हम लंबे समय रहते हैं लेकिन उसके पूर्व भी हम संसार में आए लेकिन बिना परिचय तो तब कौन थे ।जिसे हम परिचय बताएं मां के गर्भ पांच तत्वों से बना है ।उसको समझो उसको जाने उसके बनो तो उसे भरोसा मिलेगा वरदान मिलेंगे जैसे मां-बाप से प्रॉपर्टी मिलती है उसी प्रकार की परमात्मा से भी प्रॉपर्टी मिलती है लेकिन यह भाग्य की जो प्रॉपर्टी है सुख शांति आनंद संपत्ति स्वस्थ जीवन वह सभी भगवान से मिले तो यह आत्मा है । किसी भी बिमारी की दवा मेडिकल पर मिल जाती है लेकिन दुख की बिमारी की दवा कही दुकान पर नही मिलती इसलिए परमात्मा से मिलन रखे वही दुख की दवा मिलेगी। एसडीओ मण्डावलिया ने कहा कि आज पर्यावरण दिवस है क्या हम लोग जानते है पर्यावरण क्या है, पर्यावरण जो है हमारा दो शब्दों से मिलकर बना है एक पर्यावरण होता है और एक वातावरण होता है तो पर्यावरण मतलब की परी और आवरण हमारे आसपास जो फैला हुआ है और दूसरा होता है वातावरण वातावरण मतलब कि हमारे आसपास का माहौल । हम बोलते हैं ना हमारा बच्चा जब स्कूल जाता है तो वहाँ खेलने जाता है तो हम बोलते हैं कि अच्छे बच्चों के साथ रहना अच्छे माहौल में रहना अच्छे पढ़ने वाले बच्चों के साथ रहेगा वह जैसे वातावरण में रहेगा वैसा ही माहौल में ढलेगा । यह पर्यावरण जो है हमारे आसपास पेड़ पौधे जीव जंतु वन्य प्राणी जंगली जानवर यह सभी हम पर निर्भर है क्योंकि हम जब जंगल की बात करते हैं हम पर्यावरण की बात करते हैं तो इस पर्यावरण को सबसे ज्यादा प्रदुषित कौन कर रहा है, वह हम लोग कर रहे हैं हम जंगल में जाते हैं बहुत सारे जंगली जानवर रहते हैं वहां पर तेंदुआ रहता है शेर रहता है वहां पर हिरण है बहुत सारे वन्य प्राणी रहते है क्या वह किसी तरह का प्रदूषण करते हैं क्या वह कचरे का उपयोग करते हैं वह जो पानी पीते हैं तो उस पानी को गंदा करते हैं । आज के समय में अगर कोई राक्षस है तो वह पॉलिथीन यह कभी खत्म नहीं होती हम सोचते हैं इसको हम जला देंगे पर वह खत्म नहीं होती जलने अगर उसको हम जलाएंगे तो क्या होगा कितना काला धुआं निकलता हम लकड़ी जलते हैं और पॉलिथीन को जलाइए जिसमे से काला धुआं निकलता है वह काला धुआं कहां जा रहा वह पर्यावरण मे । हम प्रकृति से केवल ले रहे हैं प्रकृति के पास बहुत कुछ देने को है प्रकृति इतने वर्षों से हमें दे रही है लेकिन अगर हम हमेशा उसे लेते रहेंगे तो कभी ना कभी वह भंडार खत्म होता जाएगा तो हमें उसको वापस देना भी है । शमिता दीदी ने कहा कि प्रकृति और पर्यावरण हमारे साथी है हम इसे जैसा रखेंगे वैसा ही प्राप्त करेंगे । इस अवसर पर के सी रावत, पूरन माटा, अरुण श्रीवास्तव , ओमप्रकाश रत्नावत सहित बडी संख्या में महिलाएं मौजूद थे इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों ने पौधारोपण किया कार्यक्रम का संचालन भाई श्रीपाल (मंदसौर) ने किया तथा आभार ब्रह्माकुमारी गंगा दीदी ने किया । पर्यावरण दिवस है क्या हम लोग जानते है पर्यावरण क्या है, पर्यावरण जो है हमारा दो शब्दों से मिलकर बना है एक पर्यावरण होता है और एक वातावरण होता है तो पर्यावरण मतलब की परी और आवरण हमारे आसपास जो फैला हुआ है और दूसरा होता है वातावरण वातावरण मतलब कि हमारे आसपास का माहौल । हम बोलते हैं ना हमारा बच्चा जब स्कूल जाता है तो वहाँ खेलने जाता है तो हम बोलते हैं कि अच्छे बच्चों के साथ रहना अच्छे माहौल में रहना अच्छे पढ़ने वाले बच्चों के साथ रहेगा वह जैसे वातावरण में रहेगा वैसा ही माहौल में ढलेगा । यह पर्यावरण जो है हमारे आसपास पेड़ पौधे जीव जंतु वन्य प्राणी जंगली जानवर यह सभी हम पर निर्भर है क्योंकि हम जब जंगल की बात करते हैं हम पर्यावरण की बात करते हैं तो इस पर्यावरण को सबसे ज्यादा प्रदुषित कौन कर रहा है, वह हम लोग कर रहे हैं हम जंगल में जाते हैं बहुत सारे जंगली जानवर रहते हैं वहां पर तेंदुआ रहता है शेर रहता है वहां पर हिरण है बहुत सारे वन्य प्राणी रहते है क्या वह किसी तरह का प्रदूषण करते हैं क्या वह कचरे का उपयोग करते हैं वह जो पानी पीते हैं तो उस पानी को गंदा करते हैं । आज के समय में अगर कोई राक्षस है तो वह पॉलिथीन यह कभी खत्म नहीं होती हम सोचते हैं इसको हम जला देंगे पर वह खत्म नहीं होती जलने अगर उसको हम जलाएंगे तो क्या होगा कितना काला धुआं निकलता हम लकड़ी जलते हैं और पॉलिथीन को जलाइए जिसमे से काला धुआं निकलता है वह काला धुआं कहां जा रहा वह पर्यावरण मे । हम प्रकृति से केवल ले रहे हैं प्रकृति के पास बहुत कुछ देने को है प्रकृति इतने वर्षों से हमें दे रही है लेकिन अगर हम हमेशा उसे लेते रहेंगे तो कभी ना कभी वह भंडार खत्म होता जाएगा तो हमें उसको वापस देना भी है । शमिता दीदी ने कहा कि प्रकृति और पर्यावरण हमारे साथी है हम इसे जैसा रखेंगे वैसा ही प्राप्त करेंगे । इस अवसर पर के सी रावत, पूरन माटा, अरुण श्रीवास्तव , ओमप्रकाश रत्नावत सहित बडी संख्या में महिलाएं मौजूद थे इस अवसर पर उपस्थित अतिथियों ने पौधारोपण किया कार्यक्रम का संचालन भाई श्रीपाल (मंदसौर) ने किया तथा आभार ब्रह्माकुमारी गंगा दीदी ने किया।