रामपुरा- विकास यात्रा तब तक अपूर्ण है जब तक नागरिकों में नारी अस्मिता ,नदियों के प्रति सम्मान,संस्कृति का महत्व ,संवेदना की जागरूकता और प्रकृति के केवल दोहन की बजाय प्रकृति के संरक्षण की भावना न विकसित हो उक्त बात डॉ.प्रेरणा ठाकरे ने शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामपुरा में विकसित भारत 2047 पर परिचर्चा के आयोजन में कही उन्होंने कहा की 2047 के विकास का मुख्य लक्ष्य वर्ण नही मानव के प्रतिभा और कौशल होना चाहिए। डॉ प्रेरणा ने विकास की संकल्पना को नोकरी और नोकरशाही से विमुक्त कर स्वामित्व और स्वावलम्बन की महत्ता को बताते हुए समझाया कि भारत का प्रत्येक नागरिक शिक्षित होकर स्वरोज़गार की दिशा में काम करे। रिश्तों का महत्व समझाते हुए बताया कि हम विकास का शीर्ष पर पहुंचे पर दिलों से दूरियां न बढ़ने दे।
एक विकसित देश के लिए संस्कार,साहित्य,संवेदना,स्वावलंबी होना उतना ही आवश्यक है जितना शरीर के लिए रीढ़ की हड्डी का होना। वही परिचर्चा के प्रारंभ में संस्था के प्राचार्य डॉ. बलराम सोनी ने देश की आजादी से वर्तमान तक हुई भारत की प्रगति पर सारगर्भित विवेचन किया। कार्यक्रम के अधिकारी प्रो. आशीष कुमार सोनी ने अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कर भारत को विकासशील से विकसित बंनाने हेतु आर्थिक सुधारों तथा आधारभूत संरचना के विविध आयामों के निर्माण पर प्रकाश डाला। राष्ट्र के प्रत्येक वर्ग के विकास हेतु सरकारी योजनाओं के कुशल क्रियान्वयन एवं नागरिकों की जवाबदेही पर चर्चा की। 2047 के विकास का मुख्य लक्ष्य वर्ण नही मानव के प्रतिभा और कौशल होना चाहिए। परिचर्चा में महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. जाकिर हुसैन बोहरा, डॉ. मुक्ता दुबे, डॉ. सुषमा सोलंकी, डॉ.शिल्पा राठौर, सुश्री डिम्पल खुराना सहित विद्यार्थियों ने पूर्ण सहभागिता की अंत मे आभार प्रदर्शन श्री महेश चांदना ने किया।