कुकडेश्वर- दीपावली का त्यौहार 12 नवंबर को है, दीपावली में मात्र चार-पांच रोज बचें दीपावली को लेकर बाजारों में व्यापारियों हाथ ठेला फुटपाथ वालों ने सिजनेबल आइटम से दुकानें बजा कर बाजार तो सजा दिया। लेकिन बाजार में सन्नाटा पसरा है बाजार तो सज गए लेकिन ग्राहक नदारत है दीपावली पर मिट्टी के दिए, गाय , बेल पूजने के लिए सरमरीया व पाटियें के साथ ही पोस्ट रंग रोगन माला व इलेक्ट्रॉनिक साज-सज्जा के सामानों से बाजार सज गया वहीं कपड़ा बाजार, रेडिमेड, सर्राफा,महिला श्रृंगार व किराना बाजार में भी सन्नाटा पसरा देखा गया। बुधवार को बाजार में भ्रमण के दौरान बाजारों की दुकानों फुटपाथ बस स्टैंड व हाथ थेला वालों ने सीजनेबल आइटम आदि से अपनी दुकानें सजा दी लेकिन बाजार में सन्नाटा रहा छुट पुट लोगों की आवाजाही रहीं। धीरे-धीरे भारतीय संस्कृति के त्यौहार फीकें होने लगे जिसका मुख्य कारण आर्थिक तंगी और वर्तमान में मनासा तहसील में सिंचाई के लिए सिंचाई योजना ना होना कम वर्षा के कारण पानी के अभाव और फसलों की पैदावार बराबर नहीं होना आदि से आम जनों ने अपनी अति आवश्यक जरूरत खाने पीने की चीज खरीदने के अलावा अन्य सामग्रीयों की खरीदारियों से ध्यान हटा दिया। बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ है। व्यापारी बेचारे हाथ पैर हाथ धरे बैठे हैं। देखना है धनतेरस से अगर बाजार में कुछ उठाओं आता है तो ठीक नहीं तो इस बार भी व्यापारी मायूस बेठा देखा जाएगा सरकारें आमजन के लिए तो शासन की योजनाओं का लाभ देती है लेकिन जो व्यापारी बाजार में बैठ कर सभी को कुछ ना कुछ सहयोग करता है और मध्यमवर्गीय होकर आर्थिक तंगी से अपना गुजर बसर करता है।उसे कोई सहयोग ना मिल कर प्रताड़ित होता है ऐसा व्यापारियों ने चर्चा में बताया कि त्योंहार हो या अन्य कोई कार्यक्रम चंदा,टेक्स, पुलिस, खाद्य अधिकारी,नगर परिषद, नेता सभी व्यापारियों को ही निशाना बनाते हैं इस बार रक्षा बंधन से दिपावली का सीजन पुरी तरह से पीट रहा है ।