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खबर-भीषण गर्मी व अल्प वर्षा से पान कृषक हुए बरबाद, पढे मनोज खाबिया की रिपोर्ट

कुकडेश्वर। भारतीय परंपरा व सनातन धर्म के अनुसार देवीक वैदिक एवं पूजा पाठ में सर्वप्रथम  काम आने वाले पान हर लोगों के  लबों की शान कहे जाने वाले पान की खेती बड़ी नाजुक और महंगी होती है, जिसे पूरे क्षेत्र में अल्प जगह पर तमोली समाज द्वारा पान की खेती की जाती है। जिसमें मंदसौर,नीमच जिले के  नगर कुकड़ेश्वर,भानपुरा एवं पड़दा में मुख्य रूप से पान की खेती होती है एवं तमोली समाज उक्त पान की खेती परंपरागत से करते आ रहे हैं। वहीं उक्त पान की खेती से अपनी रोजी-रोटी कमा कर अपना गुजर बसर करते हैं। वर्तमान में पान की खेती कि महंगाई के इस युग में बहुत ही मंहगी पढ़ने लगी लागत के अनुपात से पान का दाम नहीं मिल पाने से कई पान कृषको ने उक्त खेती से नाता छोड़ दिया व कई परिवार आज भी परंपरागत से पान की खेती कर अपनी आजीविका चला रहे हैं।कुकड़ेश्वर के करीब 500 परिवार पान की खेती पर निर्भर है वहीं भानपुरा में भी 500 परिवार व पड़दा में 200 परिवार पान की खेती पर निर्भर होकर अपना गुर्जर बसर करते हैं। पान कृषक रिंकू भानपिया के बताएं अनुसार 200 वर्ग मीटर के पान बरे़जा की लागत करीबन 5 लाख रुपए के करीब आती है पान की खेती के लिए बास, बल्ली, सेट, नेट, घास पुस का उपयोग कर बरेजा तैयार किया जाता है व उसमें चैत्र माह में नई फसल बोई जाती है। जिसके रख रखाव में अत्यधिक पानी की आवश्यकता होती है वही महंगी खाद बीज डालकर पान की खेती तैयार की जाती है, जिसकी लागत करीबन 5 लाख रुपए होती हैं व लागत के अनुपात से पान की ऊपज का पैसा बहुत ही काम मिलता है फिर भी तमोली समाज के पान कृषक अपनी परंपरागत खेती को कर रहे हैं।लेकिन बार-बार के प्राकृतिक प्रकोप से पान की खेती खराब होने पर पान कृषक लगातार कर्ज में डूबता जा रहा है। पान कृषक ओमप्रकाश भानपिया ने बताया कि अल्प वर्षा के कारण कुओं में पानी नहीं होने से पान की खेती जीवित रखने के लिए नित्य ₹500 में टैंकर से पानी डलवाना पड़ रहा है और पान की खेती को जीवित रख रहे,लेकिन वर्तमान में अत्यधिक भीषण गर्मी एवं लू चलने से पान की खेती में बहुत नुकसान हुआ  लूं के थपेड़ों से पान की बेल जल कर नष्ट हो चुकी जिससे इस बार पान की खेती समूह नष्ट होने की कगार पर है पान की खेती को शासन द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा के अंतर्गत नहीं जोड़े जाने व उधानि विभाग में भी नहीं लेने से  फसल बीमा एवं अन्य तरह को कोई भी शासन की राहत योजना का लाभ नहीं मिलता है। जिससे पान कृषक लगातार पिछड़ता जा रहा है। पान कृषक चौथमल भानपिया, अर्पित रोदवाल ने बताया कि शासन प्रशासन को परंपरागत होने वाली पान की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जोड़ा जाना चाहिए व उधानी विभाग के अंतर्गत पान खेती को लेकर शासन की योजना का लाभ दिलवाया जाना चाहिए क्षेत्र में ऐसी कोई सिंचाई योजना ना होने से जलस्तर लगातार घटता जा रहा है। जिससे पान  कृषक को अपनी परंपरागत पान की खेती से मुंह मोड़ना पड़ रहा है। वही इस महंगाई के युग में आजीविका चलाने के लिए और कोई साधन न होने से लगातार पान कृषक पिछड़ता जा रहा है। शासन प्रशासन को कृषि प्रधान देश में कृषि को बढ़ावा देने के साथ-साथ पान की खेती को बढ़ावा देने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम करना चाहिए।

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