रामपुरा- राजवंशो के समय की बात करे तो रामपुरा एक अनूठा नगर हुआ करता था उस समय रहे शासक राजा दुर्गभानसिंह ने कई तालाबो का निर्माण करवाया था। जिसमे उन्ही के नाम से लगभग 14 एकड़ में दुर्गासागर तालाब का निर्माण करवाया जिसे आज बड़ा तालाब के नाम से भी जाना जाता है। इस तालाब में पानी का भराव वर्षाकाल में आरावली पहाड़ी से गिरने वाले छोटे बड़े झरनो से एक अनूठी व्यवस्ता थी राजा रजवाडो के समय बने इस तालाब में वर्षाकाल में पानी के साथ आंने वाली मिटटी जमा होती गई और जिम्मेदारो की उदासीनता के चलते धीरे-धीरे यह तालाब अपना वैभव खोता चला गया। वर्षाकाल में तालाब लबालब तो हो जाता है लेकिन रिसाव होने की वजह से तालाब में पानी माह फरवरी- मार्च आते ही तालाब लगभग नाम मात्र का पानी ही रह जाता है। राजवंशो के समय बने सभी तालाबो के यही हाल है वर्तमान में तालाब के सोंदर्यकरण के लिए करोडो का मद आया हुआ है और इस के तहत दुर्गासागर तालाब का सोंदार्यीकरण का कार्य शुरू किया जा रहा है। लेकिन वर्तमान में नगर परिषद् उपाध्यक्ष विजयराजसिंह चंद्रावत व काग्रेस के पूर्व ब्लाक अध्यक्ष लोकेन्द्रसिंह चंद्रावत ने दुर्गासागर तालाब में हो रहे कार्य को लेकर नगर परिषद् के सी एम ओ व जिम्मेदारो पर 14 एकड़ में बने दुर्गासागर तालाब को सोंदार्यीकरण के नाम पर तालाब में नई दीवार बनाकर उसे छोटा याने की 7 एकड़ करने का इल्जाम लगाते हुए कहा की। उन्हें पुरानी बनी दीवारों के पास ही नई दीवार बनानी थी बने घाटो का सोंदार्यीकरण करना था तालाब जहाँ से रिसाव हो रहा है उसे रोकना था तालाब का गहरीकरण करना चाहिए जो नही हो रहा है। मात्र नई दीवार बनाकर करोडो रुपये पानी में बर्बाद कर रहे है साथ ही होने वाले कार्य में भ्रष्टाचार भी दिखाई दे रहा है। वही नगर के समाज सेवी मुरलीधर देवड़ा का कहना है कि तालाब में जो दीवार बनाई जा रही है उसका कोई ओचित्य नहीं है। तालाब की पुरानी बनी दीवार के पास से ही दीवार को बनाना था ताकि रजवाडो के समय बने इस तालाब वैभव आ जाता साथ ही और सुन्दर भी दिखता यह तो तालाब को छोटा कर रहे है। जबकि तालाब में होने वाले पानी के रिसाव को रोका जाना था तालाब पर बने घाटो का सोंदार्यीकरण करना था जबकि ऐसा नही हो रहा है।