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परमात्मा को प्राप्त करने के लिए मजबूत आस्था चाहिए आस्था से ही परमात्मा का वास्ता--श्री अमिपुर्णा श्री जी

कुकडेश्वर- जिस प्रकार मिठाई पचाने के लिए मजबूत पाचन तंत्र चाहिए एवरेस्ट चोटी पर चढ़ने के लिए मजबूत सीना चाहिए परमात्मा को निहारने के लिए तेजस्वी आंखें चाहिए दौड़ पदक प्राप्त करने के लिए पैरों में शक्ति चाहिए उसी तरह परमात्मा को प्राप्त करने के लिए मजबूत आस्था चाहिए उक्त विचार आराधना भवन कुकडेश्वर में धर्म प्रभावना देते हुए श्री अमिपुर्णा श्री जी मा.सा. ने फरमाया कि आस्था से ही परमात्मा का वास्ता है आस्था नहीं तो परमात्मा से वास्ता नहीं,हमारी आस्था भगवान के प्रति है तभी हम मंदिर दर्शन को जाते हैं लेकिन हमारी आस्था जिनवाणी के प्रति कम होती जा रही है ये जिनवाणी परमात्मा की वाणी है अरिहंत परमात्मा के मुख से निकल वाणी है, जिनवाणी के प्रति अटूट आस्था श्रद्धा होना चाहिए आपने बताया कि परमात्मा के दर्शन हम मंदिर में कभी भी जाकर कर सकते हैं लेकिन जिनवाणी का समय निश्चित है जो कि तय समय पर ही मिलती है। क्रोध, मान,माया, लोभ  में चार चौकड़ी हमें भव भवन्तर में भटकाने वाली है कर्म किसी के सगे नहीं होते या किसी को छोड़ने वाले नहीं है  जिस प्रकार 99 लाख भव के पश्चात  गजसुकमाल मुनि के कर्म उदय में आए व ससुर सोमिल ब्राह्मण उसके सिर पर जलते हुए अंगारे रखें व्यक्ति का मान सम्मान अहं  व्यक्ति के कर्म बंद करवाता है अनुकूल प्रतिकूल परिस्थितियों में स्थिर रहना चाहिए साधु जीवन में भी 22 उपसर्ग आते हैं आपने बताया कि व्यक्ति को धर्म कार्य दान पुण्य में कभी पीछे नहीं हटना चाहिए हमारी आस्था इसके प्रति अटूट होना चाहिए आज यदि हम धर्म नहीं कर रहे हैं तो समझ लो हम बासी भोजन ही खा रहे हैं।

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