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मां महात्मा और परमात्मा हमारी जिंदगी के महत्व पुर्ण अंग है--श्री अमिपुर्णा श्री जी

कुकड़ेश्वर- जिस भजन में प्रभु का नाम ना हो उस भजन को गाना ना चाहिए पंक्तियां गुनगुनाते हुए आराधना भवन में पधारे अमिपुर्णाश्री जी मा. सा.ने प्रवचन के दौरान बताया जिंदगी जियो वीर बनकर दिलों में बसों पर तस्वीर बनकर मां, महात्मा और परमात्मा हमारी जिंदगी के महत्वपूर्ण अंग है। जिनके जीवन में गुरु नहीं उसका जीवन शुरू नहीं संसार के सारे रिश्ते व्यवहारिक है लेकिन माता पिता गुरु का रिश्ता भगवान की तरह है बचपन में जब हम आए तो मां ने हमें संभाला जवानी में गुरु हमें सदमार्ग दिखाते हैं और भटकन से बचाते बुढ़ापे में परमात्मा मिल जाते तो हमारा जीवन सफल हो जाता है। परमात्मा के दर्शन मात्र से नवग्रहों से निजात मिलती और नव संपदा प्राप्त होती है उपाश्रय मंदिर में भव्य आत्माएं होती वो ही जाती। परमात्मा की ध्वजा लहराते देखकर नमो जीणानम बोलें एवं संत महात्मा विचरण करते मार्ग में मिले तो उनको वंदन करने वाली आत्मा भव्य आत्मा है। दर्शन करते समय परमात्मा और हमारी आत्मा का एकाकार होना चाहिए साधु साध्वी और धर्म की निंदा करने वाला सातवीं नरक का भागी बनता है मनुष्य मात्र छद्मम्सत है कोई गलती करता है तो उस पर उंगली उठाने का हमें अधिकार नहीं स्वर्ग नरक यहीं पर है प्रतिदिन प्रति पल सात  कर्म हमारे बंध रहे  आयुष्य कर्म जो हमें मिला है वह एक बार बंधता,जिसने जन्म लिया उसकी मृत्यु निश्चित इस अवसर परआपने नवकार मंत्र की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि इसका उपयोग अशुद्ध जगह पर नहीं करना चाहिएं।

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