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आत्मनिर्भर व सहनशील बने--प. पू. श्री विनय मुनि जी

कुकडेश्वर- आज के इस परिप्रेक्ष्य में हमें अपने घर को रामायण बनानी या महाभारत बनानी है इसके लिए हर व्यक्ति को सहनशील बनना जरूरी है।जब तक जीना तब तक सहना होगा उक्त बात हुकमेश पटधर आचार्य श्री रामेश के शिष्य प. पू. श्री विनय मुनि जी मा.सा. ने समता भवन ब्यावर में धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे पत्थर चोट सहता हुआ मुर्ती बन जाती है,उसी तरह हमे भी मुर्ति की तरह उच्च बनना है।सहनशीलता मे ही शांति होती है। आपने कहा जिसमे सहनशीलता का गुण आ गया समझो वो घर स्वर्ग बन गया और वो घर रामायण की तरह बन जाता है।हमे सभी तरह की आसक्तियों को हटाना होगा,दर्पण के समान बन कर आत्मनिर्भर बनना नही तो बुढापे मे कटुर वचन सुनना पडेगा। जैसा परिवार मिला वैसा समन्यव बनाकर रहे। इस अवसर पर भजन के माध्यम से श कहा"ओभटके हुए इंसान प्रभुशरण चले आना"प्रभु व गुरु  ही भटके हुए इंसान को सही रास्ता 
दिखलाता है।

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