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तीर्थ राज सम्मेद शिखर जी को वन्य अभ्यारण व पर्यटन स्थल घोषित करने पर मोन जुलूस के रूप में पंहुच ज्ञापन सौंपा जैन समाज ने

कुकडेश्वर- झारखंड राज्य में पारसनाथ पर्वत पर स्थित जैनियों की आस्था के केंद्र तीर्थराज सम्मेद शिखर जी को झारखंड सरकार ने केंद्र की अनुमति से पर्यटन स्थल घोषित कर जैन समाज की आस्था आघात पहुंचाने का काम किया है जिसका जैन समाज में भयंकर आक्रोश व्याप्त होकर सरकार के इस निर्णय पर पूरे देश में जैन समाज विरोध कर रहा है इसी के तहत कुकड़ेश्वर सकल जैन श्री संघ ने जैन तीर्थ कुकडेश्वर पारसनाथ मंदिर से सैकड़ों महिलाओं पुरुषों ने एकत्रित होकर मोन जुलूस के रूप में नगर में निकलते हुए विरोध प्रदर्शन कर तहसील टप्पा कार्यालय कुकड़ेश्वर पर मोन रैली के रूप में पहुंचकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय पर्यटन वन मंत्री, झारखंड मुख्यमंत्री के नाम संयुक्त ज्ञापन बनाकर नायब तहसीलदार मुकेश निगम को दिया उक्त अवसर पर ज्ञापन का वाचन समाज के वरिष्ठ सुधीर पटवा ने किया एवं बताया कि तीन,चार वर्ष  पहले झारखंड सरकार ने पारसनाथ पर्वत को बिना जैन समाज की सहमति से वन्य जीव अभ्यारण पर्यावरण पर्यटन के लिए घोषित इको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत जोनल मास्टर प्लान व पर्यटन मास्टर प्लान पर्यटन धार्मिक पर्यटन सुची से बाहर किया जाए।जैन समाज की सहमति के इको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत वन्य जीव अभ्यारण का एक भाग ओर तीर्थ माना जाता है।लिखकर  तीर्थ राज की  स्वतंत्र पहचान और पवित्रता नष्ट करने वाली झारखंड की अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना क्रमांक 2729 ई दिनांक 2 अगस्त 19 को अविलंब रद्द किया जाए और  पारसनाथ पर्वतराज और मधुबन  को मांस मदिरा बिक्री मुक्त कर यात्री पंजीकरण सामान जांच हेतु सीआरपीएफ व स्कैनर सीसीटीवी कैमरे सहित दो चेक पोस्ट चिकित्सा सुविधा सहित खनन और महुआ के लिए आग लगाना प्रतिबंधत किया जाए जैसी प्रमुख मांगों को लेकर सकल जैन समाज 12:00 जैन मंदिर से मोन जुलूस के रूप में सदर बाजार बस स्टैंड से टप्पा कार्यालय पहुंचे जहां पर माननीय राष्ट्रपति माननीय प्रधानमंत्री जी केंद्रीय मंत्री माननीय मुख्यमंत्री जी के नाम तहसीलदार को ज्ञापन दिया उक्त अवसर पर सुधीर चंद पटवा,नपअध्यक्ष उर्मिला महेंद्र पटवा, समाज अध्यक्ष राजेंद्र बाबेल, सतीश खाबिया, सकल जैन समाज के महिला पुरुष उपस्थित थे उक्त अवसर पर तहसीलदार से ज्ञापन देकर ज्ञापन संबंधित राष्ट्रपति प्रधानमंत्री पर्यटन वन्य मंत्री झारखंड मुख्यमंत्री को भेजने का अनुरोध किया व जैन समाज ने उक्त निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा कर रोष व्याप्त किया।

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