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माया छल कपट को छोडे बिना जीवन मे निखार नही आ सकता--प. पू. श्री विनय मुनि जी मा.सा.

ब्यावर/कुकडेश्वर- आचार्य रामेश के शिष्य शासन दीपक श्री विनय मुनि जी म सा ने समता भवन मे प्रवचन पर भजन से कहा ओ महावीर स्वामी बना दो मुझे ज्ञानी,पीला दो अमृतवाणी बनजांऊ वीतराग मे,मुझे आना है तुम्हारे पास मे।इसके लिए हमे परोपकारी सम्यक द्वष्टि रखनी होगी जिससे हम अच्छाईया ग्रहण कर सके।विश्व मे रहने वाले सभी जीवो के प्रति हमे आत्मियता की भावना जगानी होगी।मैना जानू कौन पराया। म सा ने कहा जीवन मे निखार लाने के लिए हमे माया छलकपट को छोडकर साधना से निखार ला सकते है जीवन मे उसके लिए अपने हृदय को सरल बनाना होगा।सम्यक ज्ञान,दर्शन,चरित्र का समन्वय होने सै मोक्ष मार्ग का रास्ता प्रशस्त बनता जायेगा।युद्ध मे प्रेम पालने से विजय का रास्ता मिल जाता है।धर्म मे किन्तु परन्तु नही होता।व्यक्ति अपने गुणो से महान बनता है। इससे पहले श्री मधुर मुनि जी म सा ने कहा नाथ बन जाना सरल काम नही नाथ वो ही बन सकता जिसको छ कायो के प्रति जीवो की रक्षा कर सके  उसी पर बहुत बडी जिम्मेदारी होती है तभी लह सच्चा नाथ बन सकता है।जैन धर्म कहता है मानव सेवा भी प्रभु सेवा है। साध्वी अवियशा श्री जी ने कहा हमे भगवान महावीर की क्लाश पांच पद वाली होती है।महावीर के क्लाश मे रजिस्टेशन कराना हे। वो पांच पद हे अरिहंताणं, सिद्धाणं, आयरियाणं,उव्वजायाणं,लोए सव्वसाहूणं की क्लांश मे नाम लिखवाना है।

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