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जैन दीक्षा महोत्सव में महाराष्ट्र की वर्षा भण्डारी आचार्य श्री रामेश से दीक्षित हुई, नई पहचान के रुप मे नाम मिला महासती अनुमिता श्रीजी म.सा.

उदयपुर/कुकडेश्वर- साधुमार्गी जैन संघ के आचार्य श्री रामेश के सान्निध्य मे चार दिसम्बर को नवरत्न क्षैत्र मे जैन भागवती दीक्षा सम्पन्न हुए। आचार्यश्री रामेश के उदयपुर आगमन के बाद यह 11 वीं दीक्षा थी। चार दिसम्बर को प्रात: मुमुक्षु वर्षा भण्डारी का परिवार व समाजजनो की उपस्थिति मे मुंडन विधि सम्पन्न हुई। तथा मुमुक्षु वर्षा भण्डारी सांसारिक वेशभुषा से मोह त्याग कर साध्वी वेश धारण किया तथा पुरे परिवार के साथ महानीष्क्रमण यात्रा  के साथ प्रवचन स्थल पहुंची। मुमुक्षु के प्रवचन स्थल पहुंचते ही। हजारों की तादाद मे उपस्थित श्रद्धालु ,दीक्षार्थी की जय जयकार व राम गुरु की जय जयकार करने लगे। प्रवचन स्थल, दीक्षा स्थल मे तब्दील हो चुका था।अपूर्व आध्यात्मिक वातावरण बन गया था।मुमुक्षु वर्षा भण्डारी महाराष्ट्र के शिरुड ग्राम से इस अवसर पर परिवार सहित शिरुड ग्राम के जैन - अजैन अनेक सदस्य उदयपुर  आयोजन मे सम्मिलित हुए। दीक्षा विधि प्रारम्भ करने से पूर्व आचार्यश्री रामेश ने एक बार पुन: मुमुक्षु वर्षा से पुछा क्या आप ने द्रढ निश्चय कर लिया है दिक्षा लेने का वर्षा भण्डारी ने प्रत्तुत्तर मे आध्यात्मिक भाषा मे  कहा "तहत्ती भगवन्।"फिर आचार्यश्री ने परिवार जन से सहमती ली तो सहमती मे सभी ने अपने हाथ खडे किए। बाद पुरी सभा से आचार्यश्री ने साक्षी व सहमती ली जिसे पुरी सभा ने हाथ खडे कर सहमती प्रदान की।आचार्यश्री ने मुमुक्षु वर्षा भण्डारी को सविधि दीक्षा प्रदान की। दीक्षा विधि सम्पन्न होने के पश्चात आचार्यश्री रामेश ने धर्म सभा में फरमाया कि अपने शब्दकोश से असम्भव शब्द निकाल दीजिए , असम्भव शुद्ध शब्द नही है। यानी असम्भव कुछ भी नही है।बस पुरुषार्थ कीआवश्यकता,थकना रुकना नही बस चलते चलो चलते चलो जब तक आप अपनी मंजील ना पा लो चलते चलो। अपने गन्तव्य पर ध्यान कैन्द्रित रखें। आचार्यश्री ने प्रवचन के दौरान मुमुक्षु वर्षा भण्डारी को नई पहचान के रुप मे  नवदीक्षिता महासती अनुमिता श्रीजी म.सा. का नाम प्रदान किया ।अब से वे इसी नाम से जानी पहचानी जाएगी तथा जीनशासन की भव्य प्रभावना करेगीं। दीक्षा से पूर्व अटल मुनि , गगन मुनि व मुदितप्रज्ञा जी मसा ने प्रवचन फरमाए। नवदीक्षिता की एक बहन जो दो वर्ष पूर्व आचार्यश्री रामेश से दीक्षित हुई थी वे रीभिता श्री जी मसा भी उक्त दीक्षा मे उपस्थित थी। उन्होने भी सभा को सम्बोधित करते हुए  अपनी बहन के आज संयम मार्ग पर अग्रसर होने पर कहा कि बहना तुम हमेशा मेरे साथ रही थी,आज संयम मार्ग पर भी मेरे साथ आ गई हो तुम्हारा अभिनन्दन है।  मुमुक्षु वर्षा की माता जी मनीषा जी भण्डारी ने बडे ही आत्मीय भाव से सभा मे कहा कि हम माता पिता आज धन्य हो गए हम अपनी दोनो पुत्रीयों को संसार के श्रेष्ठतम मार्म पर अग्रसर होते देख हर्षित है। इस अवसर पर आदित्य मुनि ने पुरी सभा को बडी ही भावुक अपिल करते हुए कहा की नवदीक्षिता ने आज साध्वी वेश धारण किया है,अब ये जीवन भर इसी वेश मे रहेगी,पैदल विहार करेगी।आएं सभी संकल्प करें की अपनी संस्कृति को कायम रखते हुए कभी ऐसे वस्त्र नही पहनेगे जिससे सामने वाले के मन मे विकार भाव उत्पन्न हो साथ ही मुनि ने घौर हिंसा से बचने के लिए कभी भी सोंन्दर्य प्रसाधन व प्रोटीन के नाम पर कभी अण्डा आदि अभक्ष  भोज का उपयोग नही करने की अपिल की।हजारों की तादाद मे उपस्थित जन ने अपने स्थान पर खडे होकर उक्त संकल्प ग्रहण किया। सभा मे महासती सम्पन्नता श्रीजी मसा ने 22 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। अल्पेश धाकड ने बताया कि हुकम संघ के नवम पट्टधर, परमागम रहस्य ज्ञाता, युग निर्माता, परम पूज्य आचार्य भगवन् 1008 श्री रामलालजी म.सा. के मुखारविन्द से आज 04 दिसंबर 2022, रविवार को उदयपुर (राज.) में जैन भागवती दीक्षा सम्पन्न हुई मुमुक्षु बहन सुश्री वर्षा जी भण्डारी (शिरूड, महा.) अब से नवदीक्षिता महासती श्री अनुमिता श्रीजी म.सा. के नाम से जिनशासन की भव्य प्रभावना करेंगी।

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