कुकडेश्वर- "घड़ी दो घड़ी कर लो प्रभु का भजन भक्ति से छुटेगा आवागमन"वीतराग प्रभु की वाणी जीवन में भक्ति से जुड़ने का संदेश दे रही है। जब तक आत्मदर्शन नहीं होता तब तक भक्त भगवान के साथ जुड़ नहीं पाता है, इसके लिए भीतर के विकारों को निकालना होगा,अविकारी बनने के लिए हमें आत्म चिंतन करना पड़ेगा हर व्यक्ति के साथ व्यर्थ का प्रपंच लगा हुआ, जिसको हम प्राप्त करना चाहते हैं वह प्राप्त नहीं हो रहा है हम ऐसे कार्य करें कि हमारी आत्मा प्रभु भक्ति में लीन हो जाए उक्त विचार स्थानक भवन में विराजित महासतीवर्या प. पू. श्री वनिता श्री जी मा. सा. ने नियमित प्रवचन श्रृंखला के दोरान धर्म सभा में कहते हुए फ़रमाया कि भारी वस्तु व्यक्ति को हमेशा नीचे ले जाती है यदि हमें प्रभु से मिलन करना तो ऊपर जाना होगा हमें हल्का होना होगा कर्मों को हल्का करेंगे तो प्रभु मिलन आसान होगा मनोरंजन के लिए हर कदम उठा लेते हैं लेकिन आत्मरंजन के लिए कुछ नहीं किया तन को तो हम प्रतिदिन स्वच्छ बना रहे हैं लेकिन मन को स्वच्छ नहीं बनाया आपने बताया कि प्रभु नाम में अनंत शक्ति है नाम लेते लेते कई आत्माएं संसार सागर से पार हो गई, जीवन में आत्मानुशासन का होना जरूरी है। जीवन मर्यादा अनुसार जिया जाए कुल की मर्यादा अलग होती है कॉलेज का अनुशासन धर्म स्थान में आने का अनुशासन रखें मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं करते मर्यादा में रहना जरूरी है अनुशासन में रहना जरूरी है दुनिया की दृष्टि से स्वयं को देखेंगे तो चित्र बिगड़ जाएगा जीवन को स्वयं की दृष्टि से देखें जीवन में सद्गुणों के रंग भरे जीवन का सुंदर चित्र बनेगा जीवन में साता के लिए समभाव जरूरी है समभाव से हमारा जीवन सुंदर बनेगा इसी क्रम में प पू श्री निष्ठा श्री जी ने कहा कि सुख दुख आते जाते रहेंगे हम तो हर हाल में मस्त रहेंगे जीवन में धूप छांव सुख दुख आते रहते हैं हमें हर हाल में मस्त रहना है कर्म उदय से जीवन में घटनाएं घटित होती रहती है हमें समभाव की साधना करना है कोई भी घटना हमें दुखी नहीं बना सकती जीवन में हमें ईट का जवाब फूल से देना है ऐसा यदि हम कर पाएंगे तो जीवन को बदलते देर नहीं लगेगी।