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पंच परमेष्ठि के पांच पदो में अपार शक्ति है,मन से साधना करें--प पू श्री वनिता श्री जी मा सा (आचार्य श्री हुकमीचंद जी मा सा की द्वि शताब्दी दिक्षा जंयती मनायी)

कुकडेश्वर- प्रभु मुझको समझाना मुक्ति कैसे पाऊं' अंधेरी राहों में कैसे में बच पांऊ।कवि इन सुंदर पंक्तियों में यह संदेश दे रहा है की पुण्य का उपार्जन करने से मन को साता उपजती है पंच परमेष्ठी के पांच पदों में अपार शक्ति है शुभ भावना से हम स्मरण करें हमारे अशुभ कर्मों की निर्जरा होती है जीवन में यदि सुगंध की आवश्यकता है तो गंदगी रुपी कचरे को बाहर का रास्ता दिखाना होगा मन में यदि क्रोध, मान, माया का कचरा भरा है तो साधना और भक्ति से साफ करना होगा उसके लिए मन का शांत रहना जरूरी है माला कितनी भी फेर लो लेकिन मन साफ नहीं है तो वह सिर्फ दिखावा होगा। उक्त विचार स्थानक भवन में हुकमेश संघ के प्रथम आचार्य सुधर्धा स्वामी के 74वें पटधर आचार्य श्री हुकमीचंद महासाहब की द्वि शताब्दी दिक्षा महोत्सव अवसर पर आचार विशुध्दी महोत्सव पर श्रावक श्राविकाओं से सम्बोधित होते प पू श्री वनिता श्री जी मा सा ने नियमित प्रवचन श्रृंखला के  दोरान व्यक्त करते हुए कहा कि पत्थर को यदि तराश कर भगवान बनादें तो वो पूज्यनीय हो जाता है। आपने नवकार मंत्र में अनंत शक्ति बतायी नवकार मंत्र के पांच पदों का विश्लेषण करते हुए आपने बताया प्रथम अरिहंताणं यानी जिसने कर्म शत्रुओं का नाश कर दिया इनके शरीर होता है पर हम देख नहीं सकते तथा ये महाविदेह क्षेत्र में रहते हैं  सिद्धांणं यानी सिद्ध भगवान यह सिद्ध शिला में विराजमान है इनके शरीर नहीं होता है आयरियाणं यानी आचार्य भगवान जो संघ के नायक होते है नमो  उवज्झायाणं यानी उपाध्याय प्रवर को नमस्कार हो  नमो  लोए  सव्व साहुणं यानी विश्व के सभी साधु साध्वी को मेरा नमस्कार हो यह चमत्कारी महामंत्र सभी का बेड़ा पार करने वाला है हमें सिर्फ समझना होगा निरंतर शुभ भावों से नवकार मंत्र का जाप करें तीर्थंकर भगवान की वाणी आत्मा को पाथेय देने वाली है आज का दिवस प्रेरणा दे रहा है की महापुरुषों द्वारा प्रदत जो पाथेय मिला है उसे अंतर तक पहुंचाना है ज्ञान हमारी आत्मा का गुण है इसे प्रकट करने के लिए परिश्रम की आवश्यकता है पुरुषार्थ से ही सभी अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं "उधमेय नहीं  सिद्धंती कार्याणयी न मनोरथे" मात्र कथन करने से कार्य सिद्ध नहीं होता है। आज के दिवस आचार्य हुक्मीचंद जी की 200 वीर दीक्षा जयंती पर स्थानक भवन में महासती वनीता श्री जी ने आचार्य के जीवन का गुणानुवाद करते हुए बताया कि टोडारायसेन राजस्थान में चपडोल परिवार में जन्म लेकर आपने परिवार का संघ का नगर का नाम रोशन किया आज आप की 200 भी दीक्षा जयंती पर कुकड़ेश्वर स्थानक भवन में श्रावक श्राविकाओं द्वारा  दो  दो सामयिक की साधना के साथ स्तवन मन हुकमी हुकमी गाये जा अंतर में नाद जगाये जा से सभी आत्म विभोर हो गये तथा उनके जीवन पर प्रकाश डाला उक्त अवसर पर महासतिवर्या प पू श्री साधना श्री जी,प पू श्री निष्ठा श्री जी,प पू श्री निरमंग्धा श्री जी मा सा ने भी दर्शन लाभ दिया।संघ के सागरमल फाफरिया, कैलाश जोधावत, मनोज खाबिया, विनोद जोधावत,अशोक बोहरा,व कई वरिष्ठ जन महिला मण्डल द्वारा सामूहिक पचकाण लिये गयें। कार्यक्रम का संचालन सतीश  खाबिया ने किया।

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