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जिंदगी ऐसी बनाओं की जिंदा रहें तो दुनिया याद करे, जिंदगी ना रहें तो भी याद करे--प. पू. श्री वनिता श्री जी मा. सा.


कुकडेश्वर- जीवन अमुल्य है और जिंदगी के दो सत्य भी है जन्म-मृत्यु मानव का जन्म हुआ तो मृत्यु भी निश्चित है इसलिए इस जीवन को जिवन्त बना लो जिससे  मृत्यु भी महोत्सव बनें और इस के लिए जीवन त्याग तपस्या व धर्म आराधना युक्त बनाना पड़ेगा उक्त विचार हुकमेश संघ पटधर आचार्य श्री रामेश की आज्ञानुर्वतनी शासन दीपिकाजी प पु श्री वनिता श्री जी मा सा ने स्थानक भवन में आयोजित गुणानुवाद सभा में कहा कि जिंदगी ऐसी बनाओं की जिंदा रहें तो दुनिया याद करे और जिंदगी ना रहें तो भी दुनिया याद करे इसी प्रकार शासन दिपीका महासती जी प पु श्री प्रेमलता जी मा सा (मंदसौर) वाले के देवलोकगमन पर कुकडेश्वर सकल जैन संघ की गुणानुवाद सभा में फ़रमाते हुए बताया कि आपने आचार्य श्री नानेश से दिक्षीत होकर संयम मार्ग पर चलते हुए ज्ञान ध्यान क्रिया और तप आराधना का जगह-जगह वितरण करते हुए अलख जगाया था और आप को आज हम याद कर रहे आपके जीवन अनुरूप हमें भी हमारा जीवन जिवन्त बना कर धर्म आराधना में लगाना है उक्त अवसर पर प पू श्री निष्ठा श्री जी मा सा ने फ़रमाया कि व्यक्ति के जीवन में समाधी भाव कैसे उत्पन्न हो इसके लिए सात्विक आहार विहार आचार विचार जीवन में लाने होंगे जब हम सात्विक विचारों का परिमार्जन करेंगे तो समाधी भाव उत्पन्न होंगे जो हमारी आत्मा को परमात्मा से मिलने का मार्ग प्रशस्त करेगी क्योंकि हमारी मृत्यु सात दिन में होने वाली है सप्ताह के सात दिन में से कभी भी मृत्यु हो सकती है इस लिए आत्मा के लिए सावधान हो जाएं और धर्म आराधना में लगजाये आप ने भी श्री प्रेमलता जी के जीवन पर प्रकाश डाला इसी क्रम में सुधीर जी पटवा, विनोद जी जोधावत, मनोज खाबिया ने भी महा सतिया जी प्रेमलता जी मा सा के जीवन व आपके संयमी जीवन पर विस्तृत जानकारी दी इसी कड़ी में महिला मण्डल द्वारा सामूहिक नवकार मंत्र जप रखा वो लोगस्य पाठ से आदरांजलि अर्पित की कार्यक्रम का संचालन सतीश खाबिया ने किया व रविवार को परिवार सहित स्थानक भवन में प्रातः9बजे विशेष प्रवचन व सामुहिक एकासन का आयोजन रखा गया।

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