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महा सती प. पू. श्री प्रेमलता जी मा सा के देवलोकगमन पर निकली चकडोल यात्रा। (जय जय नंदा जय जय भद्दा के जय घोष के साथ कई श्री संघो की उपस्थिति रहीं)


कुकडेश्वर- अखिल भारत वर्षीय साधुमार्गी जैन संघ के हुकमेश संघ पटधर आचार्य भगवान 1008 श्री रामलाल जी मा.सा. की आज्ञानुवर्ती महासति वर्या शासन दीपिका परम पूज्या श्री प्रेमलता जी मा. सा.मंदसौर वाले का 71 वर्ष की आयु में पिपलिया मंडी समता भवन स्थानक भवन में देवलोक गमन 17 नवंबर गुरुवार को शाम 6:30 बजे हो गया उक्त देवलोक गमन का समाचार जैसे ही भारत भर में पहुंचा साधुमार्गी जैन श्री संघ एवं स्थानकवासी संघो के साथ ही जैन श्रावक श्राविका का पिपलिया मंडी की ओर महासती जी के अंतिम दर्शन हेतु पहुंचने लगे पिपलिया मंडी स्थानक भवन से18 नवम्बर प्रातः 8:30 बजे पिपलिया मंडी सकल जैन श्री संघ, साधुमार्गी जैन संघ,समता युवा संघ, महिला संघ के साथ ही साधुमार्गी जैन संघ के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की उपस्थिति चक डोल यात्रा पिपलिया मंडी के मुख्य मार्गो से निकली जगह जगह लोगों ने महासती वर्या के दर्शन किए। जय-जय नंदा जय-जय भद्दा, जय जय कार जय जय कार राम गुरु की जय जय कार, हुं शी ऊं चौ श्री जग नाना राम चमकते भानु समाना के जयघोष के साथ महासति जी के गुणगान के साथ चक डोल यात्रा पिपलिया मंडी के मुख्य मार्गो से होते हुए मुक्तिधाम स्थल पहुंची जहां पर विधि-विधान पूर्वक अंतिम दर्शन श्रावक श्राविका ने किए महासती परम पूज्या श्री प्रेमलता जी  मा. सा. का  जन्म दिनांक 22 /09/ 1951 को मंदसौर में जैन कुदाल परिवार में हुआ था आपकी शिक्षा भी मंदसौर में हुई एवं आपकी दीक्षा मंदसौर में 15/10/ 1969 को आचार्य श्री नानालाल जी मा. सा. के मुखारविंद से हुई आपका धार्मिक ज्ञान जैन सिद्धांत रत्नाकर रहा आप के सांसारिक पिताजी का नाम श्री चांदमल जी कुदाल माता जी का नाम मोहनबाई कुदाल भाई का नाम अमृत लाल जी कुदाल बहन का नाम कुसुम लता जी कुदाल दीक्षित है आप मंदसौर के निवासी होकर दीक्षा स्थल भी मंदसौर रहा आपके परिवार से अन्य दिक्षाए भी हुई आप बचपन से ही धर्म ध्यान की ओर अग्रसर होकर अल्पायु में ही वैराग्य के भाव उत्पन्न हुए थे आप मधुर भाषी प्रशांत मना एवं हंसमुख स्वभाव के होकर विद्वान व्याख्यान वाणी से  ज्ञान धान की प्रभावना करते आ रहे थे।आपकी दीक्षा उम्र 53 वर्ष की रही आपने संयमी जीवन को पूरे नियम संयम त्याग तपस्या के साथ पुरा किया आपके अंतिम दर्शनों को कई श्री संघो से श्रावक श्राविका पिपलिया पहुंचे जिसमें मुख्यत:रतलाम, मंदसौर, जावरा, दलोदा, सीतामऊ, झारडा, संजीत,नीमच, जावद,मोरवन बांध, अठाना, कंजाडा,कुकड़ेश्वर, रामपुरा, मनासा एवं दुर दराज से भी साधुमार्गी जैन श्री संघ ने एकत्रित होकर आप के अंतिम दर्शन किए एवं लोगस्य पाठ, नवकार मंत्र के स्मरण से श्रद्धा सुमन अर्पित किए ।

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