रामपुर- हमारा देश शिक्षा में आश्रम परंपरा संस्कृति का देश रहा है जिसे मैकाले ने अपनी शिक्षा पद्धति लागू कर विकृत करने का भरपूर प्रयास किया किंतु अब समय है पुनः अपनी जड़ों की ओर लौटने का, उक्त विचार सेवानिवृत्त प्राचार्य आत्माराम जोशी ने शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामपुरा में आयोजित हिंदी विमर्श कार्यक्रम के अंतर्गत" ज्ञान में हिंदी में ज्ञान का प्रकाश" विषय पर व्यक्त किए श्री जोशी ने माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास कैलाश सारंग द्वारा चिकित्सा की पढ़ाई हिंदी में प्रारंभ किए जाने को लेकर विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी।कार्यक्रम में पधारे समाजसेवी श्री गोविंद जी रत्नावत ने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि माननीय चिकित्सा शिक्षा मंत्री द्वारा की गई इस अनूठी पहल का अधिक से अधिक विद्यार्थी लाभ उठाएं ।महाविद्यालय के प्राचार्य श्री बलराम सोनी जी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए हिंदी माध्यम द्वारा चिकित्सा की पढ़ाई में होने वाले अवसरों का महत्व बताते हुए कहा कि जो विद्यार्थी डॉक्टर बनने का सपना आंखों में सजाए बैठे हैं उनके लिए अब भाषा का अवरोध समाप्त हो गया है ।माननीय मुख्यमंत्री एवं माननीय चिकित्सा शिक्षा मंत्री के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए इसे शिक्षा के क्षेत्र में सबसे बड़ा नवाचार बताया कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ प्रेरणा ठाकरे ने जानकारी देते हुए बताया कि माननीय चिकित्सा शिक्षा मंत्री जी के निर्देशन में 120 दिनों में 97 विशेषज्ञों द्वारा अथक परिश्रम के बाद चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम तैयार किया गया है।आभार प्राणिकी विभाग की डॉ आसावरी खैरनार ने व्यक्त किया| कार्यक्रम में प्रो भरत धनगर, प्रो शिल्पा राठौर, प्रो महेश बामनिया, प्रो.पार्थ कंसाना,प्रो. मठुआ अहिरवार, प्रो.रामस्वरूप अहिरवार,प्रो शिवकौर कवचे, डॉ मुक्ता दुबे, डॉ अर्चना आर्य, प्रो. ममता बसेर, प्रो कोनिका कटारे , प्रो रेणुका ठाकुर, डॉ अर्जुन धनगर, प्रो नगमा मेव, प्रो महेश चांदना सहित सभी प्राध्यापक उपस्थित रहे।