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आजादी के 75 वर्ष बाद भी भारत में हिन्दी को अपनों से ही संघर्ष करना पड़ रहा

रामपुरा- संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है किंतु हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा होनी चाहिऐ।आजादी के 75 वर्ष बाद भी भारत में हिन्दी को अपनों से ही संघर्ष करना पड़ रहा है| फिर भी हिंदी अपने देश मे  भारत माता के मस्तक पर बिंदी के समान है उक्त उद्गगार शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामपुरा में आयोजित हिंदी दिवस पर डॉक्टर प्रेरणा ठाकरे ने व्यक्त किए| कार्यक्रम को  संबोधित करते हुए डॉ किरण अलावा ने कहा कि हिंदी में बात करना शर्म का नहीं गर्व का विषय है। हम अंग्रेजी का विरोध  ना करते हुए इतना करें कि अंग्रेजी भी पढ़े और हिंदी को सम्मान दे। कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने हिंदी के महत्व और उपयोगिता पर अपने विचार व्यक्त किये। महाविद्यालय प्राचार्य डॉ.ज़ाकिर हुसैन बोहरा ने हिंदी में हस्ताक्षर करने के लिए प्रेरित किया आयोजन में प्रशासनिक अधिकारी डॉ.बलराम  सोनी,डॉ जितेंद्र पाटीदार,प्रोफेसर अर्जुन धनगर सहित महाविद्यालयीन स्टॉफ की गरिमामयी उपस्थिति रही।

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