कुकडेश्वर। अरिहंत भगवान अरिष्ट नेमी द्वारिका नगरी पंहुचते है जहां आपकी देशना श्रवण मात्र से जिस प्रकार महारानियां व राजकुमार दीक्षा लेकर अपनी आत्मा का कल्याण कर लेते हैं।अगर हमें चारित्र आत्माओं के जिवन पर रचीत भगवान की वाणी व अंतगढ़ सुत्र का मुल समझ में नहीं आये तो कोई बात नहीं भगवान महावीर फरमाते हैं कि सुनने मात्र से उध्दार हो जाता है। जिनवाणी बता रहीं हैं कि आदमी इतना जान ले की मुझे संसार में कैसे जिना हैं। लेकिन हम वक्रता और जड़ता में जकड़े हुए हैं। उक्त बात श्री वर्धमान स्थानक भवन में पर्वाधिराज पर्युषण पर्व पर स्वाध्याय बंधु श्री महावीर जी धोखा ने कहा कि आज मानव में और मेरा वर्चस्व में जि रहा है और मोह अंहकार में फंसा हुआ है अगर इसमें ही उलझे रहे तो ये जिंदगी नाकाम है जिस प्रकार काऊ और कुकडा अपने साथ और की भी सोचता है पक्षी होने के बाद भी पर हित की भावना रखता आज हम सिर्फ हमारी सोचते भाई भाई की नहीं समाज की नहीं सोच रखता तो फिर हमारे मानव,जैन और सनातनी होने का क्या फायदा कर्म कितने ही करलो आडम्बर कर लो धर्म आराधना करलो जहा तक भावना शुद्ध नहीं होगी वहां तक हमारा कल्याण नहीं होगा। उक्त अवसर पर स्वाध्याय श्री संदीप जी बांठिया ने अंतगढ़ सुत्र के वाचन के साथ चोदह नियम के बारे में बताया छोटे छोटे नियम हमारे कर्मों की निर्जरा करने में मदद करते हैं जिवन तो सभी जि रहे हैं लेकिन जिवन मर्यादा में रहकर जिने से जिनेंद्र देव की कृपा होती है। स्थानक भवन में स्थानक वासी जैन समाज द्वारा पर्वाधिराज पर्युषण पर्व पर धर्म आराधना के साथ आस्था और श्रद्धा से आठ दिवसीय पर्व मनाया जा रहा है।