कुकडेश्वर। वंदना करने से शरीर का व्यायाम होता है हमारी भारतीय संस्कृति से प्रातः उठ कर देव गुरु माता-पिता व बड़ों को झुक कर अंगुठे से मस्तक को लगा कर वंदन करना बताया इस के पीछे भी बहुत बडा महत्व है जब हम झुक कर स्पर्श करते हैं तो हमारी ज्ञानेंद्री जागृत होती हैं वही वंदना के पिछे भी बहुत बड़ा कारण व गुड़ रस्य हैं बार बार व़दना से जहा धार्मिक दृष्टि से ज्ञान की गंन्थी खुलती व आशीर्वाद मिलता है लेकिन योगीक की दृष्टि से योग जागृत होता व व्यायाम से हमारी ऋड़ की हड्डी मजबूर होती है उक्त बात साधु मागी जैन संघ के समता प्रचार से आये स्वाध्याय बंधु श्री महावीर जी धोखा, ने श्री वर्धमान स्थानक भवन में पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के दौरान श्रावक श्राविका से अंतगढ़ सुत्र वाचन पर कहा कि तीन खण्डों के राजा होते हुए भी श्री कृष्ण बार बार भगवान को नमस्कार करते हैं और हम आज हमारी सभ्यता को भुलते जा रहें हैं हल्लो, हाय, टाटा, बांय में सिमट कर रह गये हर एक शास्त्र हमें संस्कार दे रहा संसार में रहना सिखा रहा लेकिन हम बाहरी आडंबर और पाश्चात्य संस्कृति में उलझते जा रहें हैं।कहा गये हमारे जैन संस्कार से विनय आता है और विनय से चरित्र का निर्माण होता है। अंतगढ़ सुत्र वाचन आठ रोज हम करते हैं करवाते हैं इस के हर एक पन्ने पर ज्ञान का भण्डार है संसार का सार है महापुरुषों ने अपने चरित्र को कैसा बनाया था भगवान, राजा, मुनि, रानी महारानियां के चरित्र हमें बोध कर रहे हैं आठ दिवस में चार चलें गये अब चार और बाकी है इसमें भी चेत कर शास्त्र को सुन कर चिंतन मनन कर आत्म सात करेंगे तो कल्याण होगा इसी क्रम में नित्य प्रार्थना प्रतिक्रमण प्रतियोगिता स्वाध्याय श्री संदीप जी बांठिया करवा रहे हैं।