कुकडेश्वर। जिनागम शास्त्र को पड़ और समझ कर जहां तक आत्म सात नहीं करेंगे वहां तक शास्त्र की बात करना भी निरथक हैं। हम पर्युषण पर्व पर शास्त्र की बात करते हैं और अंतगड़ सुत्र सुनते हैं और पड़ते जैन है 32 आगम हमारे पास है लेकिन चिंतन का विषय है हमने उन पर चलने का प्रयास किस हद तक किया। बात तो शास्त्र अनुसार प्रवचन की कर रहे लेकिन अंदर में उतारा क्या उक्त बात साधुमार्गी जैन संघ के समता प्रचार संघ से आये स्वास्थ्य बंधु श्री महावीर जी धोखा ने स्थानक भवन कुकडेश्वर में पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के दुसरे दिवस प्रवचनों के दोराना कहा। आचार्य भगवंत श्री रामलाल जी मसा का जीवन चरित्र ही अगर हम आत्म सात करके शांत चित ज्ञान वान बन कर समता को धारण कर लेंगे तो आत्मा का कल्याण हो जाएगा। आपने कहा कि अमावस्या कालिख लेकर आती है और पूर्णिमा उजाला हमें इस संसार रुपी भोतिक व पाश्चात्य वाली 30 दिनी अमावस्या रुपी कालिख को छोड़ने के लिए पुर्णिमा की चांदनी रात याने पर्युषण पर्व पर आत्मा पर चढ़ीं अमावस्या की कालिमा को हटाना है। और जन्म मरण को छोड़ना हैं आपने ऐसे कई मार्मिक उदाहरण देकर समझाया कि जीवन मिला और जैन कुल मिला है अनजान बन कर जीवन को व्यर्थ मत गंवाओ धर्म को जीवन मे उतारें आज हम बेस्ट कह कर जीवन को वेष्ट कर रहे। जैन धर्म जोड़ने का काम करता हम काटने में लगे हैं आज पाश्चात्य संस्कृति के चलते जन्म दिन, शादी सालगिरह आदि पर केक कांट रहें। चिंतन मनन करने का समय है उक्त अवसर पर संदीप जी बांठिया ने कहा हजारों रोगों की मात्र एक दवा है तप तप त्याग और मर्यादा में रहें हमारे तप करने के बाद खानें की लालसा कम हो तब तप की सार्थकता है।