कुकडेश्वर। धर्म सुख की सेज होती हैं सबसे पहले हमारी सोच अच्छी हो बुरी सोच दुख की सेज होती और अच्छी सोच सुख की सेज है जिस तरह दवाई कड़वी जरुर होती लेकिन शुगर जैसी बिमारी को ठीक कर देती हैं। आज मानव धर्म से विमुख हो रहा और अहम, लोभ, मोह, माया, छल कपट रुपी शुगर की बिमारी बड़ा रहा है इसे ठीक करने के लिए ये पर्वाधिराज पर्युषण पर्व त्याग, तप व धर्म रुपी कड़वी दवा लेकर आत्म कल्याण कर आत्मा पर चढ़े अज्ञानता को हटाना है। उक्त बात जैन स्थानक भवन में आठ दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण पर्व पर साधुमार्गी जैन संघ के समता प्रचार संघ से आये स्वास्थ्य बंधु श्री महावीर जी धोखा ओरंगाबाद ने अपने कड़वे प्रवचन में फरमाया कि हम जैन है जो जीवन मे समता धारण कर शांति और समर्पण भाव रखते हैं लेकिन आज हम कहने को तो जैन है लेकिन हमारे आचार विचार और आचरण कितने बदल गये है जन्म से जैन होना मायने नहीं रखता कर्म से जैन बनेंगे तो हम भी जिन बन जायेगें। आपने कई मार्मिक उदाहरण के साथ आचार्य भगवंत श्री रामेश व उपाध्याय प्रवर श्री राजेश और हुकमेश संघ के साथ सभी चारित्र आत्माओं से सिख लेकर हम जैन बने इसी प्रकार आपने बताया कि आज फैशन के नाम पर हम कितने गिरते जा रहें हैं व्यवहार बिगड़ रहा है। अगर जिसने घर में जीना सिख लिया वो संसार में जी सकेगा हमें भगवान की जिनवाणी मिली है इसे विनोद के रुप में स्वीकार करो। चिंतन करें कि हम कोन है हमको क्या करना है और हम क्या कर रहे हैं। महावीर जी धोखा ने कहा कि दृष्टि बदलेंगी तो श्रृष्टि का नजरिया बदल जाता है। जैन संस्कृति जैन धर्म की धरोहर हमें मिली हम इसे नहीं सम्भाल जैन जोड़ने का काम करता है हम तोड़ रहे हैं चिंतन मनन करने का अवसर है पर्युषण पर्व त्याग तप तपस्या छोटे छोटे नियम शास्त्र अध्ययन सामायिक प्रतिक्रमण से आत्म कल्याण करें। उक्त अवसर पर कानवन से आये स्वास्थ्य बंधु श्री संदीप जी बांठिया ने शास्त्र वाचन कर फरमाया कि संयम व तप रुपी आराधना करना चाहिए तप से शरीर को कष्ट होता लेकिन आत्मा का कल्याण होता है। थोड़ा कृष्ट अधिक लाभ धन अर्जित व रत्न प्राप्त में जो कृष्ट होता हैं वो धर्माराधना के कृष्ट से फिका हैं।स्थानक वासी जैन समाज के आठ दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण पर्व एक सितंबर से प्रारंभ होकर आठ दिवसीय धर्म आराधना के तहत प्रातः प्रार्थना, 8.30 से शास्त्र वाचन प्रवचन दोपहर ज्ञान चर्चा, प्रतियोगिता सांय 6.45 से प्रतिक्रमण आदि धर्म आराधना में सकल जैन समाज लगा है।