रामपुरा। प्रतिबंध हटने के बाद गांधीसागर जलाशय (चंबल नदी) क्षेत्र एक बार फिर 'हईया हो हईया' की स्वर लहरियों से गूंज उठा। सैंकड़ों की संख्या में मछुआरे नदी में मत्स्याखेट करने उतरे। नदी में उतरे मछुआरे अब 14 से पन्द्रह दिन बाद लौटेंगे। हर वर्ष नदी से राज्य शासन के द्वारा गांधीसागर जलाशय में 15 जून से 15 अगस्त तक पूरे दो माह मत्स्याखेट (मछली मारने) पर प्रतिबंध रहता है। प्रतिबंध हटने के बाद मछुआरे नदी में उतरने कि सभी आवश्यक इंतजाम कर शुभ मुहूर्त देखकर परम्परा अनुसार नदी में अपनी-अपनी नाव उतारते हैं। प्रतिबंध हटने के बाद नदी में उतरने के लिए मछुआरा-समाज के लोगों ने नदी किनारे मां गंगा की पूजा-अर्चना कर अपनी सलामती के लिए मां गंगा से प्रार्थना करने के बाद सभी अपनी-अपनी नाव जलाशय में उतारते है। चंबल नदी में जैसे ही अपनी-अपनी नाव उतारी तो विहंगम दृश्य देखते ही बन रहा था नाव में सवार मछुआरों और किनारे पर खडे परिजनो ने जय-जय गंगा मैय्या के नारे लगाकर मंगल-कामना की। गांधीसागर जलाशय में मछुआरे एक बार उतरने के बाद करीब 10 से 12 दिनों में ही बाहर आते हैं। अपने-अपने चयनित स्थानों पर दिनभर जाल बिछाकर मछलियां पकड़ने का काम करते हैं। इसी कारण उन्हें खाने पीने के लिए अपने साथ लाए आटा-दाल, चावल व अन्य खाने की वस्तुओं को अपने साथ ले जाना पड़ता है। जालबंदी करने के बाद किसी टापू या नाव में ही खाना बनाना पड़ता है।