कुकडेश्वर। मानव जीवन में नियम होना आवश्यक हैअगर मानव जीवन मिल जाए तो समझना प्रभु की असीम कृपा है और मानव जीवन मिलने पर हमें समभाव में रहकर सत्कर्म करना चाहिए गुरु बताते हैं की मानव जीवन मिलने के बाद मानव को सोचना चाहिए और समझना चाहिए कि मैं कौन हूं मैं किस लिए आया हूं और मुझे क्या करना है अगर मानव ने इन तीन मूल वचनों पर अमल कर लिया और स्वयं में स्वयं को खोज लिया तो आत्मा का कल्याण हो जाएगा। उक्त बात सूर्यवंशी कुमरावत तमोली समाज के तत्वाधान में चल रही सात दिवसीय श्री मद् भागवत कथा के दूसरे रोज तमोली धर्मशाला में व्यास गादी से पं दिलीप जी त्रिवेदी ने संगीत मय भागवत कथा के दौरान धर्म सभा में श्रोताओं से कहा हमारा घर एक मंदिर है घर में पवित्रता होना आवश्यक है इसी प्रकार यह शरीर भी मंदिर है और इसमें आत्मा विराजित है आपने कहा भजन में "जन्म जन्म का सोया रे मनवा अब तो जाग अब तो जाग"इस आत्मा को जागृत करना है क्योंकि यह जन्मो जन्म तक सोई है जहां तक हमने आत्मा को जागृत नहीं किया वहां तक हमारा कल्याण नहीं होगा। आज हम चार धाम की यात्रा तीर्थ करते हैं लेकिन गुरु माता-पिता की सेवा नहीं करते अगर जिसने अपने माता-पिता की सेवा कर ली उनके चरण स्पर्श कर लिए तो चारों धाम चारों तीर्थ मिल जाएंगे और जो पुण्य और लाभ यात्रा से मिलता उसका फल हमें घर पर ही प्राप्त हो जाएगा। पंडित त्रिवेदी ने अपने मार्मिक उदाहरण के साथ कथा में राजा परिक्षित और सुखदेव मुनि का प्रसंग बताया राजा परीक्षित की भक्ति से सुखदेव गुरु मिले और गुरु की कृपा से उध्दार हुआ आज हम शिक्षा तो प्राप्त कर रहे हैं और बच्चों ने उच्च शिक्षा प्राप्त कर ली लेकिन संस्कार प्राप्त नहीं कर रहे हैं। माता-पिता को इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि अपने बच्चों में संस्कार हो और संस्कार प्राप्त होते धर्म आराधना भागवत कथा श्रवण व सत्संग से जिसके जीवन में सत्संग है उसका कल्याण होगा। इस अवसर पर आपने वाराह अवतार वर्णन के साथ भागवत कथा के कई मार्मिक उदाहरण बताएं साथ ही कहा की भागवत कथा में भगवान ने मानव मात्र को प्राणी मात्र को जीवन जीने की कला सिखाई है जिसने भागवत कथा का अनुसरण कर लिया उसका जीवन सुखमय व्यक्तित्व होकर मानव जीवन लेना सफल हो जाएगा।