कुकडेश्वर/भीलवाड़। राजस्थान के भीलवाड़ा में शिखर महोत्सव चातुर्मास 2024 का अरिहंत भवन में चल रहा भीलवाड़ा धर्म नगरी में तब्दील हो कर धर्म आराधना त्याग तपस्या के साथ चातुर्मास में प्रथम दीक्षा का क्रम प्रारंभ होकर एक घोषित व दो गुप्त दीक्षा होकर आचार्य भगवंत की निश्रा में चार सो पार दीक्षा 28 अगस्त को हो गयी इसी क्रम में नियमित प्रवचन के दौरान अरिहंत भवन के खचाखच भरे प्रांगण मे हुकमेश संघ के नवम् पटधर युग निर्माता पतिपल वंदनीय उत्क्रांति प्रदाता व्यवसन मुक्ति प्रणेता परम पूज्य आचार्य भगवत1008 श्री रामलाल जी मसा के मुखारविंद से दिव्य देशना के दौरान आपने कहा कि वर्तमान सुधर गया तो भविष्य सुधर जायेगा।क्रोध से प्रिती का नाश होता है,क्रोध भीतर से होने पर वात्सल्य कम होता जाता है।पृथ्वी है तो सृष्टि है सृष्टि है तो मुनि है बात आचार्य भगवंत ने इससे पहले कहा सहनशील वो ही होता है जिसमें सहन करने की ताकत होतीं है।मुनि सहनशील होते है वो अनेकों का जिवन सुधारने हेतु प्रभु की जिनवाणी फरमाते हैं।
आपने कहा कि जिस पौधे को जितनी खुराक की आवश्यकता होती उतनी देनी पडती है।जैसा प्रशंग वैसा उपदेश दिया जाना चाहिए।आंरम्भ और परिग्रह में नही पडे़ परिग्रह यानि जो चारो तरफ से मोह माया लोभ में घिरा हुआ हो वो परिग्रह हैं।जेसे शालीभ्रद को धन ने चारो तरफ घेर रखा था पर उन्हें जितनी जरूरत होती उसके अलावा नही रखते और दान कर देते धन का मोह होने पर कई भवों में सर्प बनकर बैठ जाते है।आचार्य प्रवर ने धारना पर बताया धारणा वही होती जहां विश्वास श्रद्धा होऔर श्रद्धावान वही होता जो सुनता हो सुनता वही जिनको सुनने की समता हो चाहे हजारों की तादाद की उपस्थिति हो वो समता से बिना माइक के लास्ट वाला व्यक्ति भी सुन सकता है। हमें धर्म की गंगा में हाथ धो लेना चाहिए जैसे लोकेश जी चौपडा़ ,समरथ जी पामेचा ने ज्ञान का दीप जलाने के धर्म का मोती पिरोने मे लगे है।छुटेगा तो दिखेगा जो छोड दिया उसका दुख नही होता।आप सभी को वैराग्य का दीप प्रज्वलित करना है।इससे पहले श्री गौरव मुनि जी मसा ने फरमाया की अपनी गलतियों का गुरुदेव के सामने आलोचना कर देना चाहिए चाहे गुरु देव कुछ भी प्रायश्चित देवे हमे संकल्प लेना महापुरुषों के प्रति अहोभाव रखे उसमे किसी प्रकार का दोष नही लगे।आज व्यक्ति भिक्षावृत्ति के फार्म तो भर देते पर वो पालना नही कर पाते अहोभाव से दृढ़ निश्चय से पालना करना जरुरी होता है।
कार्यक्रम का संचालन महेश नाहटा ने करते हुए बताया मुमुक्षुओं की भीलवाड़ा संघ मे पहली दीक्षा होने का प्रंसग है दीक्षा ऐतिहासिक बनने जायेगी जो आचार्य भगवन के मुखारविंद से यह 402 वी दीक्षा होगी जिसके हजारों श्रावक श्राविका जैन अजैन साक्षी बनेगें।