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खबर-रामायण जीवन जीने की कला सिखाती हैं --पं देवकृष्ण जी शास्त्री

कुकडेश्वर-भारत के कण-कण में राम बसा है हमें राम शरण पानी है राग से अनुरागी बनना है।राम का सौंदर्य आनंदित करता है तो अगर आचरण जिवन में उतार लिया तो जिवन का कल्याण हो जायेगा। अच्छा हो या बुरा हो उस पर मत जाओ और जो हो रहा प्रभु कृपा से हो रहा आज पुरा भारत राम मय है चौदह वर्ष वन वास पुरा कर राम आ रहें हैं। उक्त बात श्री सहस्त्र मुखेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण पर राम महोत्सव के तहत सीताराम मित्र मंडल के तत्वाधान में जन सहयोग से चल रही संगीतमय श्रीराम कथा के छष्टम दिवस शनिवार को श्री राम कथा के दौरान व्यास गादी से पंडित श्री देवकृष्ण जी शास्त्री ने कहा कि जहां युद्ध ना हो वही अयोध्या है। जो घर अयोध्या बन जाए, उसकी रक्षा आठो प्रहर प्रभु श्री राम करते हैं।इस दौरान मधुर संगीत से जानकी की विदाई प्रसंग को जगत की बेटी की विदाई को जोड़ते हुए बहुत ही करुण तथा मर्मस्पर्शी शब्द चित्रण किया। उन्होंने पिता और पुत्री के संबंध को सबसे पवित्र बताते हुए जानकी की विदाई के दौरान महाराज जनक और सुनैना की दशा का वर्णन किया तो पंडाल में मौजूद श्रोताओं के नेत्रों से आंसुओं की धारा बह रही जानकी की विदाई में पशु, पक्षी रोने लगे। गुरु वशिष्ट के परामर्श पर भारत का विवाह मांडवी से, उर्मिला का विवाह लक्ष्मण से और श्रुति कीर्ति का विवाह शत्रुघ्न के साथ एक ही मंडप में कराया गया। ‌ महाराज दशरथ गुरु से आज्ञा लेकर राम को युवराज बनाने की घोषणा करते हैं। पुरी अयोध्या में खुशी छा जाती है। वहीं केकेयीं कोप भवन में चली जाती है और दशरथ से दो वरदान मांगती हैं कि भरत को राजगद्दी और राम को चौदह साल का वनवास। राजा दशरथ अचेत हो जाते हैं। लेकिन प्रभु सहर्ष कहते हैं कि भाई भरत अयोध्या का राजा होगा तो जंगल का राजा राम जी लक्ष्मण और सीता के साथ वन को चले जाते हैं। श्रीराम वन गमन कर केवट को तार देते हैं जहां प्रभु के चरण पखारने सैकड़ो लोग पलक पांवड़े बिछाए रहते वहीं प्रभु राम केवट का उद्धार करने हेतु चरण आगे करते हैं।जिसका खैव्वया तिलोक नाथ हो वो नाव कहा डुबती है रामायण पग पग पर हमें जिलन का बोध सिखातीं हैं ।श्री राम कथा में रामवन गमन के कई दृष्टांत सुनाते हुए भजनों पर श्रोता अपने आप को रोक नहीं सके और झुम उठे नित्य सैकड़ो महिला पुरुष पंहुच कर कथा श्रवण कर रहे हैं।- भारत के कण-कण में राम बसा है हमें राम शरण पानी है राग से अनुरागी बनना है।राम का सौंदर्य आनंदित करता है तो अगर आचरण जिवन में उतार लिया तो जिवन का कल्याण हो जायेगा। अच्छा हो या बुरा हो उस पर मत जाओ और जो हो रहा प्रभु कृपा से हो रहा आज पुरा भारत राम मय है चौदह वर्ष वन वास पुरा कर राम आ रहें हैं। उक्त बात श्री सहस्त्र मुखेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण पर राम महोत्सव के तहत सीताराम मित्र मंडल के तत्वाधान में जन सहयोग से चल रही संगीतमय श्रीराम कथा के छष्टम दिवस शनिवार को श्री राम कथा के दौरान व्यास गादी से पंडित श्री देवकृष्ण जी शास्त्री ने कहा कि जहां युद्ध ना हो वही अयोध्या है। जो घर अयोध्या बन जाए, उसकी रक्षा आठो प्रहर प्रभु श्री राम करते हैं।इस दौरान मधुर संगीत से जानकी की विदाई प्रसंग को जगत की बेटी की विदाई को जोड़ते हुए बहुत ही करुण तथा मर्मस्पर्शी शब्द चित्रण किया। उन्होंने पिता और पुत्री के संबंध को सबसे पवित्र बताते हुए जानकी की विदाई के दौरान महाराज जनक और सुनैना की दशा का वर्णन किया तो पंडाल में मौजूद श्रोताओं के नेत्रों से आंसुओं की धारा बह रही  जानकी की विदाई में पशु, पक्षी रोने लगे। गुरु वशिष्ट के परामर्श पर भारत का विवाह मांडवी से, उर्मिला का विवाह लक्ष्मण से और श्रुति कीर्ति का विवाह शत्रुघ्न के साथ एक ही मंडप में कराया गया। ‌ महाराज दशरथ गुरु से आज्ञा लेकर राम को युवराज बनाने की घोषणा करते हैं। पुरी अयोध्या में खुशी छा जाती है। वहीं केकेयीं कोप भवन में चली जाती है और दशरथ से दो वरदान मांगती हैं कि भरत को राजगद्दी और राम को चौदह साल का वनवास। राजा दशरथ अचेत हो जाते हैं। लेकिन प्रभु सहर्ष कहते हैं कि भाई भरत अयोध्या का राजा होगा तो जंगल का राजा राम जी लक्ष्मण और सीता के साथ वन को चले जाते हैं। श्रीराम वन गमन कर केवट को तार देते हैं जहां प्रभु के चरण पखारने सैकड़ो लोग पलक पांवड़े बिछाए रहते वहीं प्रभु राम केवट का उद्धार करने हेतु चरण आगे करते हैं।जिसका खैव्वया तिलोक नाथ हो वो नाव कहा डुबती है रामायण पग पग पर हमें जिलन का बोध सिखातीं हैं ।श्री राम कथा में रामवन गमन के कई दृष्टांत सुनाते हुए भजनों पर श्रोता अपने आप को रोक नहीं सके और झुम उठे नित्य सैकड़ो महिला पुरुष पंहुच कर कथा श्रवण कर रहे हैं।

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