logo

खबर-अज्ञानता से किया त्याग टिकता नहीं ज्ञान से किया त्याग टिकता है --पं देवकृष्ण जी शास्त्री

कुकडेश्वर- निराकार से साकार के लिए कई परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है और विभिन्न कर्मों से होते हुए सभी कर्मों से गुजरते हुए प्रभु भक्ति मार्ग से और ज्ञान चक्षु को खोल कर ज्ञान से किये त्याग तप से प्रभु मिलन करना होगा। 24 अवतारों के दर्शन करने और कथा सुनने से सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है।  कथाओं में सत्यनारायण भगवान की कथा का सार हमें ही बताता है कि सत्य मार्ग पर चले सत्यव्रत धारण करें।मानव धर्म क्या है सबसे बड़ा धर्म ही मानव धर्म है और सबसे बड़ा आश्रम गृहस्थ है जिसने जीवन में गृहस्थ जीवन को सही ढंग से जी लिया वो सबसे बड़ा पुण्य शाली होता है।उक्त बात श्री सहस्त्र मुखेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण पर श्री राम कथा के चौथे दिवस श्री राम जी के  जन्म कथा का वर्णन करते हुए पंडित श्री देवकृष्ण जी शास्त्री ने धर्म सभा के बीच व्यक्त किया आपने कहा आवश्यकता से अधिक वस्तु का संचय नहीं करना चाहिए जीवन में संतोष रहकर राम रुपी जीवन जिया जायें राम किसी व्यक्ति का नाम नहीं राम शक्ति का नाम हैं।आपने सूर्य वंश की उत्पत्ति का पूरा सारांश बताया मनु के यहां से सूर्यवंश प्रारंभ हुआ एवं राजा भगीरथ की तपस्या से गंगा अवतरित हुई  गंगा माता की उत्पत्ति का पूरा सारांश आपने बताया आपने कहा अज्ञान से किया गया त्याग टिकता नहीं ज्ञान से किया गया त्याग वो ही टिकता है महादेव मंदिर परिसर में श्रीराम कथा के चौथे दिन राम के जन्म होते ही पंडाल में प्रभु श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। पंडित देवकृष्ण शास्त्री ने कहा कि भगवान का जन्म असुरों और पापियों का नाश करने के लिए हुआ था। भगवान राम ने बाल्यावस्था से ही असुरों का नाश किया। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जीवन चरित्र अनंत सदियों तक चलता रहेगा। राम कथा में पिता के प्रति मां के प्रति और भाई के प्रति प्रभु राम का जो स्नेह प्रेम रहा सदा सदा के लिए अमर है। प़ शास्त्री ने कहा कि राजा दशरथ के संतान न होने के कारण अपने कुलगुरु वशिष्ठ के पास जाते हैं। जहां वशिष्ठ द्वारा श्रृंगी ऋषि से शुभ पुत्र कामेष्टि यज्ञ करवाते है। यज्ञ कुंड से अग्नि देवता का प्रकट होकर राजा दशरथ को खीर प्रदान करते हैं। जिसके बाद राजा दशरथ द्वारा तीनों रानियों कौशल्या, कैकई और सुमित्रा को खीर देते है। उस खीर के खाने से तीनों रानियों को भगवान राम सहित भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म होता है। इस अवसर पर भजनों की धुन पर महिला पुरुष झुम उठे वहीं श्री राम जी की झांकी सजाई गई श्री राम कथा में सैकड़ों महिलाओं व पुरुषों की उपस्थिति रह रहीं हैं कथा में सीताराम मित्र मंडल के द्वारा आंमत्रित संत श्री खंडेश्वर श्री चंचल दास जी महाराज व महादेव की नगरी में जन्मे संत श्री दामोदर जी महाराज भी पधारें व नित्य अतिथियों द्वारा आरती का लाभ लिया जा रहा है ।

Top