रामपुरा- मनुष्य अपने सुखों का कर्ता स्वयं है तो दुखों का रचयिता भी खुद ही है वह अपने जीवन में दुनिया के आगे हाथ फैला कर मांगता है। परंतु वह अपने भीतर बैठे परमात्मा को चैतन्यता की लौ को जागृत करें तो उसे वह सब कुछ मिल सकता है जो वह चाहता है मनुष्य की नजर अपने भीतर चैतन्य की ओर डाले तो वह अपना जीवन सार्थक कर सकता है। परंतु मनुष्य जड़ता की ओर देख रहा है यह बात अखिल भारतवरषीय साधु मार्गी जैन संघ के नायक नवम पट्टधर आचार्य भगवंत श्री रामलालजी महाराज साहब के शिष्य बेले बेले तपस्वी उपाध्याय प्रवर बहुश्रुत वाचनाचार्य श्री राजेश मुनि जी महाराज साहब ने रामपुरा के सिंघाड़ा गली स्थित महावीर भवन पर धर्म प्रभावना देते हुए कही। उन्होंने कहा कि मनुष्य अपनी मौत की ओर निरंतर अग्रसर हो रहा है प्रतिदिन मौत की ओर बढ़ रहा है वह उसे धोखा नहीं दे सकता फिर भी वह जड़ता की ओर बढ़ता जा रहा है। जिन शासन का जहाज जड़ता के लिए नहीं है वह तो मन के भीतर चैतन्यता की को जगाने के लिए है उपाध्याय प्रवर फरमाया कि जिस तरह बाज आकाश में उड़ता है किंतु उसकी नजर जमीन पर रहती है अपने लक्ष्य की ओर रहती है इसी तरह मनुष्य भी अपनी नजर अपने भीतर चैतन्य की ओर रखे ना की जड़ता की ओर। उन्होंने उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं से आव्हान किया कि वह प्रतिदिन सामायिक स्वाध्याय करें जैन श्री संघ अध्यक्ष श्री धन्य कुमार धाकड़ ने उपाध्याय प्रवर से आग्रह किया कि वह अधिक से अधिक समय देकर श्री संघ को लाभान्वित करें।