कुकडेश्वर- आत्म दृष्टि को जाने और पहचाने अगर आत्म दृष्टि को जान लिया समझ लिया तो हम सुख और शांति को प्राप्त कर सकते हैं। आत्म दृष्टि प्राणी ही सुख और शांति को प्राप्त कर सकता है। आज हम सुख व शांति के लिए शरीर और सम्बंधों में खोजने की कोशिश करते हैं और स्वस्थ शरीर व सम्बंधों को सुख मानते हैं। जीवन में हमने बाहरी वैभव विलासिता को सब कुछ मान लिया एवं हमारे दिमाग में शरीर और संबंध को सब कुछ मानने के लिए बाध्य किया लेकिन शरीर और संबंध स्थायी सुख नहीं दे सकते हैं। उक्त बात महागढ़ स्थानक भवन में हुकमेश संघ के नवम् पटधर आचार्य भंगवत 1008 श्री रामेश के शिष्य उपाध्याय प्रवर बहु श्रुत वाचनाचार्य श्री राजेश मुनि जी मसा ने धर्म प्रभावना देते हुए फरमाया कि जहां तक मानव आत्म दृष्टि नहीं बनेगा वहां तक सच्चे सुख व शांति की अनुभूति नहीं होगी भगवान का शासन मिलना यह तन मिलना चेतन मिलना तो संभव है लेकिन इस तन को मिलने के बाद चेतन मिलने के बाद हम इस आत्मा को नहीं पहचान पाए तो जो दुर्लभ मानव जीवन हमें मिला यह बार-बार मिलना मुश्किल है । मसा ने कहा कि आत्मा के अलावा हम शरीर के कष्ट को समझ रहे हैं जो फल देने वाला नहीं है सुख को भोगते रहने से आत्मा का कल्याण नहीं होगा आत्म दृष्टि बनना ही पड़ेगा कि भगवान महावीर का शासन मिलने व जिनवाणी श्रवण और गुरु भंगवतो का सानिध्य पाने के बाद हम आत्मा को नहीं पहचान पाते हैं तो हम इस क्षणिक सुख शांति में ही फंसे रहेंगे और वही सबसे बड़ा दुख का कारण बनता है शरीर और संबंधों से मिलने वाला सुख सुख नहीं है वह कुछ समय के लिए है फिर वही दुख देने वाला है राग व्देष और प्रमाद को जोड़ना व शरीर और संबंध को अपना नहीं मानना क्योंकि जो संबंध व शरीर एक दिन मिट्टी में मिल जाते हैं लेकिन आत्मा चैतन्य है वह चैतन्य स्वरूप आत्मा ही हमें सच्चा सुख दे सकती हैं जिनवाणी भगवान महावीर का मार्ग बताता है आत्म दृष्टि बनो आत्मा को चेतन रखो जो निरंतर सुख देगी। आपने फरमाया कि हम हमारे जीवन को बनाने वाले व बिगड़ने वाले स्वयं ही है आदमी दिखावों की ओर जा रहा है दूसरों को मत देखो अपने आप को देखो जिसने स्वयं को देख लिया जिसने आत्मा को पहचान लिया वही सच्चा सुख पा सकता है। हर समस्या का समाधान होता है आज सत्य की खोज करें लेकिन बाहर नहीं भीतर से सत्य को खोजने की ललक होनी चाहिए जहां प्रमाद है वहां संयम नहीं सत्य की खोज प्रमाण से नहीं संयम से होती है अंतरात्मा की आवाज को सुनना चाहिए आपकी समस्या का समाधान होता चला जाएगा। उक्त अवसर पर संत सतिया जी एवं अखिल भारत वर्षीय साधुमार्गी जैन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र जी गांधी, कुकडेश्वर श्री संघ,जावरा संघ, इन्दौर संघ, गुजरात से आये गुरु भक्त,नीमच, जमुनिया पान,मनासा आदि जगह से श्रावक श्राविका दर्शनार्थ पंहुचें। महागढ़ के वरिष्ठ सुश्रावक समरथमल जी लोढ़ा व परिवार ने संघ भक्ति का लाभ लिया बेले बेले के तपस्वी उपाध्याय प्रवर बहु श्रुत वाचनाचार्य श्री राजेश मुनि जी मसा नित्य उग्र विहार कर क्षैत्र परस रहे हैं। उक्त जानकारी साधुमार्गी जैन संघ के मनोज खाबिया ने दी।