कुकडेश्वर- कार्तिक सुदी चतुर्थी को सुहागिन महिला पति की दीर्घायु की कामना व सदा सुहागिन रहने को लेकर करवा चौथ का पूजन करती है। मान्यता अनुसार करवा बाई अपने पति की मृत्यु होने पर यमराज से अपने पति के प्राण वापस लेकर आई थी तब से यमराज ने आशीर्वाद दिया था कि जो भी करवे को शाक्षी मान कर ये व्रत करने पर पति की आयु दीर्घायु इसी प्रकार कार्तिक सुदी चतुर्थी को करवा व चौथ के संयोग से करवा चौथ के नाम से प्रचलित हुई है। एवं महिलाएं करवा की पूजा सुहागिन रहने के लिए करवा चौथ की कथा एवं करवा की पूजा 16 श्रृंगार चढ़कर करती हैं व पूरे दिन निराहार रहकर पूजा कर रात्रि को चांद देखने के बाद अपने पति का चेहरा छन्नी में देख पति के हाथों व्रत खुलवाती है। इसी क्रम में कथा अनुसार भगवान कृष्ण के कहने पर द्रोपती ने भी ये व्रत किया था जब से इस व्रत करने की प्रथा चली आ रही है। पूरे वर्ष में सबसे कठिन व्रत करवा चौथ का है पूरे दिन महिला भूखे प्यासे रहकर करवा चौथ का व्रत पति की दीर्घायु व सुखी संपन्नता के लिए करती है। मंदिरों पर एवं घरों पर झुंड के झुंड में महिलाओं ने सोलह श्रृंगार कर करवा चौथ का पूजन किया