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खबर-आज व्यक्ति अपनी पांचो इन्द्रियो मे रमता जा रहा है इसी कारण वह अपने जन्म मरण के चक्कर छोड नही पा रहा--आचार्यश्री रामेश्

कुकडेश्वर- हुकमेश संघ के नवम् नक्षत्र व्यवसन मुक्ति प्रणेता उत्कांती प्रदाता प्रशान्त मना आचार्य1008 श्री रामलाल जी मासा ने नीमच मे साधना महोत्सव चातुमार्स के अवसर पर  मध्य प्रदेश के कई संघ,ब्यावर,मंगलवाड, दिल्ली,निकुम,बेगु, भीण्डर धुलिया आदि क्षेत्रो से हजारो श्रावक श्राविकाओं को अपनी अमृतमय देशना में राठौड़ परिसर प्रवचन हाल में फ़रमाया कि आज इंसान अपनी पांचो इन्द्रियो मे रमता जा रहा है।इसी के चक्कर में जिवन चक्र में आगे कुछ नही सोच पाते जन्म मरण का चक्कर लगाते रहेगें।जो व्यक्ति जिस जगह जिस माहोल मे रहता वो उसी की सुंगध, दुर्गध मे रहता रहता।  आचार्य भगवंत ने कहा हमारी दृष्टि इन इन्द्रियो के प्रति जागरुक होकर सोचे हम क्या कर रहे हैं, हमारी दशा दुखदायी बनने से पहले यू टर्न ले लेना चाहिए।चोरी करने वाला अपनी ही नजरो से गिर जाता है।भजन कि सुंदर पंक्तियों में कहा "नजरो से गिराना नही चाहे कितनी सजा दे दो"।इस अवसर पर  हिमांशु मुनि जी मा सा भी रोज बच्चो को दस मिनट धर्म ध्यान की प्रेरणा देते व बच्चो के साथ समय बिताते है, नही तो बच्चे बडे़ होकर मां बाप से यही कहेगा मुझे टाइम नही हो जितना पैसा चाहे ले लो। राठौड परिवार से दीक्षित श्री सुमित मुनि जी म सा ने कहा हमारे मन मे कोई आश्चर्य नही कब हम उड़ जाये जैसै पिंजडे के पंछी का गेट खुला होता तो वो आश्चर्य करता है।प्रत्येक वस्तु तनाव अविराम की ओर बढाता जाता है।जब तक जन्म मरण होता रहेगा तब तक मोक्ष नही जा सकते।आपने कहा पहले व्यक्ति को रोटी,कपडा, मकान की जरुरत रहती थी आज के समय गाडी़ लाडी़ वाडी़ की जरुरत होने लगी क्योंकि मूल रुप मे जरुरत इसी को मान बैठे।आज हम भारत मे रहकर विदेशी वस्तुए उपयोग मे लेते है, और विदेश मे जाकर भारतीय खाने की सोचते है।आज गृह प्रवेश नही गृह प्रदर्शन करते है।अनुमोदना भी बहुत बडा पाप है। मकान सदा रहने वाला नही,सबको एक दिन जाना है,मकान बनाने वाला सदा रहने वाला नही,सभी पदार्थो का स्वभाव स्थिर रहने वाला नही। नीमच में लोच मे क्या सोच मे अब तक 360 लोच हो चुके हैं व ये क्रम अनवरत चल रहा है।

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