कुकड़ेश्वर- जिस प्रकार सर्दी में धूप सुहानी लगती,गर्मी में छांव सुहानी लगती,पुण्य उदय में आता, तो जीव को धर्म सुहाना लगता है।आज 21 वीं सदी में साधनों की भरमार है गाड़ी,बंगला,टीवी, लैपटॉप,वाशिंग मशीन, मोबाइल है लेकिन साधना की कमी है 20 वीं सदी में साधन कम थे खुशियां ज्यादा थी आज सारे साधन घर में उपलब्ध है लेकिन घर की खुशियां गायब हो गई घर में कुत्ता है कार है लेकिन संस्कार कम हो गए अच्छी पढ़ाई है लेकिन अच्छाई नहीं है। साधना से हम दूर होते गए भगवान की वाणी पर आचरण किया होता तो ऐसा वातावरण नहीं बनता उक्त विचार स्थानक भवन कुकडेश्वर में हुकमेश संघ के नवम् नक्षत्र आचार्य भगवन श्री रामेश की आज्ञानुवर्तनीयां शासन दिपीका परम पूज्या श्री सुदर्शना श्री जी मा. सा. ने धर्म प्रभावना देते हुए श्रावक श्राविकाओं को फरमाया कि आज करोड़ों देवी देवता है, लेकिन पूर्व में 4 को देवी देवता माना जाता था "माता, पिता, गुरु, अतिथि"किस्मत वाले होते हैं जिन्हें इनका आशीष मिलता है। जप तप दुआ दान होतो शांति अपने आप आ जाएगी चाबी छोटी होती है लेकिन ताला खोल देती है उसी प्रकार महामंत्र नवकार छोटा है लेकिन अनेकानेक शक्तियां इसमें समाहित है चोदहपूर्व का सार है नवकार महामंत्र सभी पापों को नाश करने वाला है सुख समृद्धि की ओर ले जाने वाला है महामंत्र नवकार भाग्यशाली है वह जिन्हें जिनवाणी सुनने को मिल रही है। बिना भाग्योदय के जिनवाणी सुनने को नहीं मिलती है,तप साधना के महत्व को समझो जल जीवन जाप को समझना होगा यह सभी अमूल्य है इनको यदि समझ लिया तो जीवन की नैया पार हो जाएगी।नगर के स्थानक भवन में सुखे साता पुर्वक पुज्या श्री सुदर्शना श्री जी आदि ठाणा छः विराज रहें हैं आपके परम सानिध्य में प्रात:प्रार्थना,प्रवचन, धर्म चर्चा,जप, प्रतिक्रमण आदि चल रहें हैं।