कुकडेश्वर- वर्तमान में किसानों ने कम बारिश के बावजूद भी अपने खेतों में बड़ी मेहनत से फसलों को तैयार दिन-रात की मेहनत से खड़ी की है। एवं वर्तमान में खेतों में फसलें लहलहा रही है, लेकिन बेचारा किसान हर बार किसी न किसी समस्या से ग्रसित होकर अपनी फसलों को बचाने में नाकाम होता है। वर्तमान में खेतों में लहराती फसलों को जंगली नीलगाय (रोजडे़) नुकसान पहुंचा रहे हैं, जो झुंड के झुंड में आकर फसलों को चट कर खड़ी फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। बरसों से चली आ रही नील गायों की समस्याओं से दुखी किसान शासन प्रशासन से मांग करता आ रहा हैं।लेकिन किसी का भी इस और अभी तक ध्यान नहीं गया, नीलगायों का आतंक प्रतिवर्ष बढ़ता जा रहा है झुंड के झुंड में आकर फसलों को चौपट करने वाली नीलगाय तार फेंसिंग और बाउंड्री बाल को भी छलांग लगाकर खेतों में चली जाती है। और फसलों को नुकसान पहुंचती है वर्तमान में किसान कड़कड़ाती ठंड में सुबह से लेकर रातों की नींद को हराम कर इनकी रखवाली कर रहा है। बेचारा किसान कभी प्राकृतिक प्रकोप कभी अतिवृष्टि तो कभी अनावृष्टि से वैसे ही परेशान रहता है। दूसरी और स्वतंत्र घूमते पशु एवं जंगली गायों रोजडो़ से परेशान है वहीं दूसरी और नील गायों के आतंक से कई दुर्घटनाएं भी घठित होती रहती हैं नीलगाय सड़कों पर भी झुंड के झुंड में रोड़ क्रॉस करती हैं जिससे आए दिन दुर्घटना होती रहती हैं। वन विभाग को नीलगायों के आंतक से आमजन के बचाव के लिए गांधी सागर अभ्यारण में छुड़वाना चाहिए व नील गायों की नसबंदी भी करवाना चाहिए।ऐसी मांग करते हुए कुकड़ेश्वर के किसान अर्जुन खाती ने बताया कि नील गायों के झुंड खेतों में आकर फसलों को रोंद देते हैं व खड़ी फसलों को चट कर जाते हैं वर्तमान में गेहूं चना सरसों धनिया की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसान गोपाल मालवीय कुकड़ेश्वर, किसान सत्यनारायण धनगर हामाखेड़ी, किसान जगदीश कच्छावा आमन,किसान श्यामलाल रावत रामनगर, किसान रामकिशन रावत हनुमंतिया, किसान रोहित गुर्जर कड़ी खुर्द ऐसे कई किसानों ने बताया कि शासन को नील गायों से छुटकारा किसानों व आमजन को दिलाना चाहिए वर्षों से नीलगायों में इजाफा होता जा रहा है। जो किसानों की फसलों को नुकसान कर रहे है। इनसे निजात के लिए शासन प्रशासन को कोई पुख्ती योजना बना कर किसानों को राहत पहुंचा चाहिए।