रामपुरा- गांधीसागर निर्माण से पुर्व रामपुरा एक समृद्ध नगर के रूप में जाना जाता था, जो कभी होल्कर स्टेट की राजधानी हुआ करता था। यहाॅ का व्यापार व्यवसाय पुर्णतः विकसित हुआ करता था। दुसरी ओर शिक्षा की बात करे तो यहाॅ पर अंग्रेजो के काल में सन 1929 से महाविद्यालय की शुरूआत हुई है औद्योगिक शिक्षा में रामपुरा का आईटीआई की विशिष्ट पहचान हुआ करता थी। लेकिन आज यह नगर सर्वाधिक बेरोजगारी व गरीबी की त्रासदी झेल रहा है। रामपुरा को केन्द्रीय आवासीय विद्यालय के रूप में नवोदय विद्यालय भी मिला है। उसके बाद से रामपुरा क्षेत्र का विकास पुर्णतः रूक गया है। बेरोजगारी चरम सीमा तक पहुँच गई है रामपुरा क्षेत्र के लोग पलायन को मजबुर हो रहे है। ऐसी स्थिति में अति पिछडे क्षेत्र रामपुरा को थोडी सी आय प्रायवेट कम्पनी ग्रीनको, दिलीप बिल्डकान, एल एण्ड टी कम्पनी से बनी थी लेकिन उसमे भी राजनिती का हस्तक्षेप के चलते व क्षेत्र के विधायक मारू के सौतेले व्यवहार के कारण प्राईवेट कम्पनीयों ने क्षेत्र से 50 किमी के बाहर के लोगो को ही रोजगार उपलब्ध करवाने का निर्देश कर दिया है। रामपुरा अस्पताल भी अपनी दुर्दशा पर आँसु बहा रहा है। सीएम राईज स्कुल की भी सर्वाधिक उपयोगिता रामपुरा क्षैत्र मे थी, पीएम राईज भी रामपुरा से छिन लिया गया है, महाविद्यालय से एनसीसी हटा दी गई है। वही दुसरी ओर सांसद सुधीर गुप्ता ने सोनडी बर्रामा पुल निर्माण के लिए पहल करना भी उचित नही समझा। क्षेत्र की बेरोजगार नौजवान शिक्षीत युवाओं की ओर से मांग है कि रामपुरा क्षेत्र में लगने वाले सभी नवीन प्रायवेट प्रोजेक्ट कम्पनी आदि में 50 प्रतिशत रोजगार क्षेत्रीय लोग को प्रदान करें अन्यथा की स्थिति में आन्दोलन की रूप रेखा बनाई जावेगी।