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विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष खबर:- कभी अरावली की यह विरान रहने वाली जगह पर आज नीम के हरे वृक्षो को देख कर खुशी होती है

रामपुरा- किसी ज़माने में अरावली पहाड़ी की वादिया हरा भरा वन क्षेत्र हुआ करता था, लेकिन वन की अंधा धुंध कटाई और वन विभाग की उदासीनता की वजह से वन वीरान होते गए हर साल पांच जून विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है, वन विभाग के द्वारा हरियाली के नाम पर अरावली पहाड़ी की जमीन पर इसका परिणाम नहीं दिख रहा। वहीं एक संस्था वन एवं पर्यावरण को बचाने में जुटी हैं और उसके नतीजे भी दिखाई पड़ रहे हैं। ऐसी ही एक संस्था ने जनसहयोग से अरावली की वीरान पहाड़ी पर हरियाली बिखेर दी। वर्ष 2000 में कुछ पर्यावरण प्रेमियों ने समिति बना कर हरियाली की पहल की थी। जो पहाड़ी के भंवरियां झरने से बाबा फरीद की दरगाह होते हुए धोबी खल्ला तक हर वर्ष नए पौधे लगाते है और हरे वृक्ष को काटने नहीं देते। वर्ष 2008 में इस समिति ने रामपुरा पर्यावरण हरियाली संर्वधन समिति बनाई और इसके बाद यहां लगभग दस हजार से भी ज्यादा नीम के वृक्ष लगाऐ गऐ जो आज अरावली पर्वत पर हरियाली बिखेर रहे हैं। रामपुरा पर्यावरण हरियाली संर्वधन समिति के सदस्य रफीक डागरिया कहते है कि हमारी मेहनत रंग लाई समिती के जनसहयोग से किए गए प्रयास से कभी अरावली की यह विरान रहने वाली जगह पर आज नीम के हरे वृक्षो को देख कर खुशी होती है।

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